नियद नेल्लानार योजना मछलीपालन से आत्मनिर्भर बने वंजाम नन्दा

मनरेगा में डबरी निर्माण से ग्रामीण समृद्धि की कहानी शुरू हुई।

जिला प्रमुख नवीन कुमार

सुकमा/ कभी नक्सल प्रभावित और विकास से कोसों दूर माने जाने वाले सुकमा जिले में अब परिवर्तन की नई कहानी लिखी जा रही है। कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव के कुशल नेतृत्व और जिला पंचायत सीईओ श्री मुकुन्द ठाकुर के मार्गदर्शन में जिले के आदिवासी अंचलों में शासकीय योजनाओं का असर धरातल पर दिखने लगा है।

इस जनकल्याणकारी बदलाव की मिसाल हैं ग्राम पंचायत बगड़ेगुड़ा (विकासखण्ड कोन्टा) के निवासी श्री वंजाम नन्दा, जिन्होंने शासन की नियद नेल्लानार योजना और महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाया। दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के निवासी वंजाम नन्दा ने अपनी निजी भूमि पर डबरी निर्माण का निर्णय लिया। ग्राम पंचायत सरपंच सोमा वंजाम की पहल पर प्रस्ताव ग्राम सभा में पारित हुआ और जनपद पंचायत कोन्टा से स्वीकृति प्राप्त हुई। रोजगार सहायक एवं ग्रामीणों की मेहनत से डबरी का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया।

आज उसी डबरी में वंजाम नन्दा मछली पालन कर रहे हैं और स्थानीय बाजार की मांग को पूरा कर रहे हैं। वे बताते हैं कि पहले गांव से 22 किलोमीटर दूर केरलापाल जाकर महंगी मछली खरीदनी पड़ती थी, अब मैं अपने ही गांव में लोगों को ताजी मछली बेच पा रहा हूं। उनका लक्ष्य अब मछली पालन के साथ-साथ सब्जी उत्पादन शुरू कर गांव को ताजी सब्जियां उपलब्ध कराना है।

इस पहल से प्रेरित होकर गांव के अन्य लोग भी नरेगा योजना के तहत डबरी निर्माण में रुचि ले रहे हैं। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़े हैं बल्कि ग्रामीणों में आत्मनिर्भरता की भावना भी मजबूत हुई है। जिला प्रशासन की दूरदर्शी नीतियों और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से अब सुकमा जैसे संवेदनशील और दुर्गम क्षेत्रों में भी विकास, आत्मनिर्भरता और समृद्धि की नई कहानी लिखी जा रही है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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