राजधानी से जनता तक। कोरबा । नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के सामूहिक प्रयासों को नजदीक से जानने और समझने के लिए देशभर से लोग निर्माण यात्रा के तहत कोरबा पहुंचे। यह यात्रा न केवल सामाजिक कार्यों की प्रेरक कहानियों को उजागर करती है, बल्कि समाज और प्रकृति के बीच गहरे संबंधों को भी समझने का अवसर देती है। निर्माण यात्रा का उद्देश्य है, समाज के सकारात्मक प्रयासों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करना और नए समाधान खोजने के लिए लोगों को प्रेरित करना।
इस बार की यात्रा में हाथी-मानव संघर्ष, किंग कोबरा संरक्षण और स्थानीय समुदायों के योगदान जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया। यात्रियों ने इन प्रयासों की सराहना की और जमीनी स्तर पर हो रहे कार्यों को समझने का प्रयास किया। इन गतिविधियों ने उन्हें यह महसूस कराया कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक विकास आपस में कितने गहराई से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु, राजस्थान, मुंबई, कोंडागांव, रायपुर और भिलाई से आए प्रतिभागी, जो शिक्षा, सामाजिक कार्य और अन्य क्षेत्रों से जुड़े हुए थे, ने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि यह यात्रा उनकी सोच में एक बड़ा बदलाव लाने वाली रही।
निर्माण यात्रा की यह तीसरी श्रृंखला थी, जो 10 दिनों तक चली और रायपुर, कवर्धा, बेमेतरा, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जैसे जिलों को कवर किया। छत्तीसगढ़ में इस निर्माण यात्रा का नेतृत्व आशीष श्रीवास्तव, प्रियांक पटेल और प्रह्लाद जी ने अघोरा ईको टूरिज्म और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के साथ मिलकर पूरा किया। नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष एम. सूरज और उनकी टीम के सदस्य जितेंद्र सारथी, मयंक बागची, सिद्धांत जैन और भूपेंद्र जगत ने इस यात्रा में सक्रिय भूमिका निभाई। वहीं, अघोरा ईको टूरिज्म से डॉ. आलोक साहू, सेजल दुबे और भागेश दुबे भी इस यात्रा का हिस्सा बने।
पहली यात्रा दक्षिण छत्तीसगढ़ और दूसरी उत्तर छत्तीसगढ़ के सामाजिक कार्यों के अवलोकन पर केंद्रित थी। इस बार की यात्रा ने मध्य छत्तीसगढ़ के सामुदायिक प्रयासों को सामने लाने का काम किया। यह पहल लोगों को सामाजिक कार्यों और उनकी जटिलताओं से जोड़ती है और उन्हें नए दृष्टिकोण और समाधान प्रदान करती है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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