राजधानी से जनता तक |कोरबा| छत्तीसगढ़ समेत कोरबा में भी तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य प्रारंभ हो गया है, जिले के ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर उत्साह भी देखने को मिल रहा है। जंगल से सटे ग्रामों में तेंदूपत्ता तोड़ने की रुचि अधिक दिखाई देती है, यह कार्य ग्रामीणों के आय का भी एक प्रमुख साधन है।
गर्मी के मौसम में जहां तापमान 42 डिग्री के पार चला जाता है, ऐसे में भी ग्रामीण जंगलों का रुख कर तेंदूपत्ता तोड़ने का कार्य जारी रखते है, ग्रामीण बताते है कि तेंदूपत्ता उनके आय का एक प्रमुख साधन है जिससे वह कम समय में अच्छी खासी कमाई कर लेते है। राज्य सरकार द्वारा प्रति बोरी की कीमत 5500 रुपए निर्धारित की गई है।
जंगलों में जानवरों का बना रहता है खतरा
हरा सोने के नाम से जाने वाले तेंदूपत्ता हरे भरे जंगलों के बीच अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसे तोड़ने ग्रामीण जंगलों में जाते है इस बीच उन्हें जंगली जानवरों के हमले का भी खतरा हमेशा सताए रहता है, जंगली भालू से अक्सर ग्रामीणों का सामना हो जाता है, जहां घायल होने पर वन विभाग द्वारा तात्कालिक सहायता राशि ग्रामीणों को दी जाती है।
कोरबा के तेंदूपत्तों की रहती है मांग
छत्तीसगढ़ के कोरबा जंगलों से अच्छादित है, इन्हीं जंगलों में बेहतर क्वालिटी के तेंदूपता भी पाए जाते है जिसकी डिमांड अधिक रहती है एवं कीमत भी ज्यादा मिलती है, राज्य शासन ने प्रति मानक बारे की कीमत यथावत 5,500 रुपए ही रखी है। लेमरू वनपरीक्षेत्र के तेंदूपत्तों की गुणवत्ता अच्छी मानी जाती है जिससे इसकी डिमांड भी अधिक होती है।
मौसम खराब होने पर लक्ष्य हासिल करने में होती है चुनौती
तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर प्रतिवर्ष लक्ष्य निर्धारित किया जाता है, जिसमें मौसम महत्वपूर्ण फैक्टर के रूप में कार्य करता है , बरसात होने के चलते संग्रहण कार्य में काफ़ी दिक्कतें होती है। बीते कुछ दिनों से मौसम का मिज़ाज भी गड़बड़ाया हुआ है।ऐसे में विभाग द्वारा तैयारियों के तहत लक्ष्य प्राप्ति करने कार्ययोजना भी बनाई जाती है।

Author: Sangam Dubey
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