राजधानी से जनता तक|कोरबा| उरगा थाना क्षेत्र के पताढ़ी गांव स्थित अडानी पॉवर प्लांट में शनिवार को एक दुखद हादसे में 30 वर्षीय श्रमिक सतीश शांडिल्य की मिट्टी धंसने से मौत हो गई। सतीश, जो कि कापन का निवासी था, ठेका कंपनी के ज़रिए प्लांट में वेल्डिंग हेल्पर के रूप में काम कर रहा था।

हादसे को लेकर सहकर्मी मजदूरों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि निर्माण स्थल पर किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। बताया गया कि बिना प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरणों के मजदूरों को खतरनाक कार्यों में लगाया जा रहा है। हादसे के दौरान भी जिस जगह सतीश काम कर रहा था, वहां पहले से मिट्टी धंसने की आशंका थी, जिसकी जानकारी प्रबंधन को दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सतीश को मिट्टी से निकालने में लगभग आधा घंटा लग गया। जब तक उसे बाहर लाया गया, तब तक उसकी हालत गंभीर हो चुकी थी और अस्पताल पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। साथी मजदूरों का दावा है कि सतीश की आंखों की स्थिति यह संकेत दे रही थी कि उसे जीवित रहते हुए मिट्टी में दबा पाया गया।
हादसे के बाद प्रबंधन पर यह आरोप भी लगे हैं कि उन्होंने रात में ही पोस्टमार्टम कराने के लिए अस्पताल प्रशासन पर दबाव डाला, जिससे घटना की जानकारी सार्वजनिक न हो सके। गौरतलब है कि अडानी समूह ने आठ महीने पहले लैंको अमरकंटक पॉवर प्लांट को 4200 करोड़ रुपये में खरीदा था, और इसके बाद से निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। श्रमिकों का आरोप है कि मुनाफा कमाने की होड़ में उनकी सुरक्षा और जीवन से समझौता किया जा रहा है।
पुलिस ने मृतक के परिजनों और श्रमिकों के बयान दर्ज कर लिए हैं,
अब यह सवाल उठता है कि क्या इस पॉवर प्लांट में सुरक्षा को दरकिनार कर श्रमिकों की ज़िंदगियां जोखिम में डाली जा रही हैं? और क्या ऐसी घटनाओं पर जवाबदेही तय होगी या यह चुप्पी बनी रहेगी? करोड़ों की कंपनियों में सुरक्षा को लेकर लापरवाही की कीमत एक श्रमिक ने अपनी जान देकर चुकाई है।
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Author: Sangam Dubey
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