5 साल से न्याय का इंतजार, सुशासन की असलियत उजागर ,पात्र होते हुए भी पट्टा नहीं, क्या यही है “जनकल्याण”?

थनेश्वर बंजारे /राजधानी से जनता तक 

गरियाबंद/छुरा:सरकारें बदलती रहीं, अधिकारी स्थानांतरित होते रहे, लेकिन नहीं बदली तो सिर्फ एक गरीब मजदूर की किस्मत। वार्ड क्रमांक 04 निवासी अंत्योदय श्रेणी के अत्यंत गरीब मजदूर ईश्वर लाल सिन्हा को “पात्र” घोषित किए जाने के बाद भी पांच साल से पट्टे के लिए भटकना पड़ रहा है।

वर्ष 2020 में राजीव गांधी आश्रय योजना के तहत नगर पंचायत ने सर्वे कर पात्रों की सूची तैयार की, जिसमें ईश्वर लाल का नाम भी स्पष्ट रूप से “पात्र” के रूप में दर्ज था। इसके बावजूद आज तक उसे न पट्टा मिला, न प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ। वजह? “पट्टा नहीं है” कहकर हर बार आवेदन लौटा दिया गया।

तहसील कार्यालय, कलेक्टर जनदर्शन, विधायक निवास, यहां तक कि राजस्व मंत्री तक गुहार लगाने के बाद भी केवल आश्वासन ही मिला। पटवारी व नगर पंचायत की जांच में भी पात्र साबित होने के बाद भी तत्कालीन SDM भूपेंद्र साहू सिर्फ आश्वासन देते रहे। और फिर उनका स्थानांतरण हो गया।

अब 5 साल बीत चुके हैं, और ईश्वर लाल अब भी जर्जर कच्चे मकान में दिन काटने को मजबूर है। उसका कहना है – “अगर अब भी न्याय नहीं मिला, तो मेरे साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”

अब “सुशासन समाधान शिविर” में टिकी आखिरी उम्मीद

राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए सुशासन तिहार में ईश्वर लाल ने फिर आवेदन दिया है, और आने वाले दिनों में नगर पंचायत में लगने वाले सुशासन समाधान शिविर में भी वह अपनी गुहार लेकर पहुंचेगा।

प्रश्न जो शासन से पूछे जाने चाहिए:

👉 क्या एक पात्र नागरिक को पट्टा पाने में 5 साल लगना न्याय है?

👉 क्या “सुशासन” सिर्फ मंचों और नारों तक सीमित है?

👉 जब सारी जांचें, दस्तावेज और प्रक्रियाएं पूरी हैं, तो फिर अड़चन कहां है?

👉 आखिर गरीबों के हिस्से की योजनाएं कब तक फाइलों में उलझी रहेंगी?

अब देखना यह है कि क्या “सुशासन समाधान शिविर” में ईश्वर लाल को न्याय मिलेगा?

या फिर यह शिविर भी बाकी मंचों की तरह “सुनवाई का दिखावा” बनकर रह जाएगा?

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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