खैरागढ़। वार्ड क्रमांक 18, अम्बेडकर वार्ड के बाढ़ पीड़ित परिवार आज भी न्याय और सहायता की प्रतीक्षा में भटक रहे हैं। 10 जुलाई 2024 को आई बाढ़ ने इस वार्ड के अनेक घरों को जलमग्न कर दिया था। घरेलू सामान, राशन, कपड़े, दस्तावेज़ — सबकुछ पानी में बह गया। इस त्रासदी ने लोगों के जीवन की नींव हिला दी, लेकिन उससे भी बड़ा आघात तब लगा जब कुछ परिवारों को सरकारी मुआवज़ा तो मिला, लेकिन 13 पीड़ित परिवार आज तक उस सहायता से वंचित रह गए।

इन पीड़ितों ने मंगलवार को जनदर्शन में कलेक्टर खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी व्यथा रखी। उन्होंने बताया कि बाढ़ के तुरंत बाद पटवारी, तहसीलदार और नगर पालिका के अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण कर दस्तावेज़ लिए गए थे। उन्हें भरोसा था कि शासन से राहत ज़रूर मिलेगी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी उन्हें एक रुपये की सहायता नहीं मिली है।
मुआवज़े से वंचित पीड़ित परिवारों में शामिल हैं।
चंचल राजपूत, सिंकिया मेश्राम, बेलसीया बाई भांडेकर, इथा रामटेके, संध्या मेश्राम, सुभद्रा नगवंशी, रेशम बाई विदानी, रमसीला बाई मानिकपुरी, सरोज यादव, इंद्रा निषाद, तेजना बाई मेश्राम, सुनीता रंगारी एवं सपना गनवीर।
इन परिवारों ने प्रशासनिक कार्यालयों के चक्कर लगाए आवेदन दिए लेकिन जवाब में केवल आश्वासन ही मिला। अंततः पीड़ितों ने अपनी आखिरी उम्मीद लेकर जनदर्शन का दरवाज़ा खटखटाया।
जनदर्शन में कलेक्टर ने लिया तत्काल संज्ञा
जैसे ही पीड़ितों ने अपनी बात रखी कलेक्टर ने तत्परता दिखाते हुए तहसीलदार को तत्काल जांच का आदेश दिया। कलेक्टर ने जनदर्शन में ही स्पष्ट शब्दों में कहाकाम क्यों नहीं हुआ इसकी पूरी जानकारी दो और शाम तक स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए।
तहसीलदार ने दिया भरोसा
मौके पर मौजूद तहसीलदार ने कहा कि वे सभी 13 मामलों की जानकारी लेकर स्थिति स्पष्ट करेंगे और जो भी जरूरी होगा तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञापन देने वालों में चंचल राजपूत, सिक्किया मेश्राम, सुभद्रा नगवंशी, संध्या मेश्राम, बेलसिया बाई, रेशम बाई विदानी, इठा रामटेके सहित अन्य बाढ़ पीड़ित मौजूद थे। सभी की आंखों में उम्मीद की चमक थी कि शायद अब उनकी आवाज़ शासन तक पहुंचेगी और उन्हें वह मदद मिलेगी जिसके वे सच्चे हकदार हैं।
