अनाथ दुर्गेश कुमार यादव भत्ता के आस में उच्ची सपना देखना हों गया चकनाचूर आर्थिक संकट से जिंदगी डगमगाने लगी   

राजधानी से जनता तक ।चरण सिंह क्षेत्रपाल ।देवभोग –जिला गरियाबंद नगर पंचायत देवभोग के अधीनस्थ ग्राम पंचायत डूमरबाहाल में निवासरत अनाथ दुर्गेश कुमार यादव पालक राजेश कुमार यादव का कहना है कि, शासन -प्रशासन के माध्यम से यह जानकारी यह दी गई थी,कि जिन बच्चों के न तो मां है ओर न ही बाप है ऐसे अनाथ बच्चों को दैनिक भत्ता देने के लिए शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों के अनाथ बच्चों को आवेदन फार्म जमा करवाई गई थी। मैं भी उस वक्त दुर्गेश कुमार यादव भत्ता के लिए संबंधित कार्यालय गरियाबंद में जा कर आवेदन फार्म जमा किया था। लेकिन आज दिन पर्यन्त तक शासन -प्रशासन कि ओर से भत्ता का अभी तक मुझे कुछ भी जानकारी नहीं मिल रही है। जबकि मैं एक अनाथ लड़का हूं, मेरा देख भाल सिर्फ मेरा नाना जी ही करते है। मुझे पालन पोषन,देख भाल करने वाला कोई दूसरा ओर कोई नहीं है। मेरा कहना है यह कि, मुझे सही वक्त पर अनाथ पेंशन भत्ता नहीं मिलती है, तो मुझे दैनिक दिनचर्या जीवन यापन करने में अनेक बाधाएं उत्पन्न होगी मेरा सपना है कि मैं अच्छे स्कूल में पढ़ लिख सकू ओर आगे बढ़ कर मेरे उज्जवल भविष्य को संवार लू । मुझे शासन-प्रशासन कि ओर से राशन कार्ड मिला है , मुझे इस राशन कार्ड में 35 किलो चावल मिलता है, परन्तु दैनिक घरेलू खर्च जैसे, साबुन,तैल, कपड़ा,साग सब्जी तथा शरीर से कोई अन्य कोई समस्या हो, बुखार, शारिरीक पीड़ा इन तमाम समस्याओं से गुजरना आज कल आम बात बन गई है। दिनोदिन मानव दिनचर्या बदल रही है। मैं स्कूल पढ़ने जाता हूं, लेकिन मेरा मन पढ़ाई तरह नहीं रहता, चुकी मेरे साथ में पढ़ने वाले साथियों के खान पान,रहन सहन व पहनावा को देखकर मुझे ख्याल मन में आता है कि कास में भी इस तरह पहनता, खाता, पीता यदि मेरे नसीब में भी मां बाप रहते तो खुशी खुशी से स्कूल पढ़ने आता । अभी मुझे पेन,कापी व अन्य सामग्री खरीदने के लिए एक रूपए तक मेरे नाना जी व मेरे हाथ में नहीं है, प्रति रोज सुबह स्कूल पढ़ने जाता हूं, कक्षा अध्यापकों के द्वारा गृह कार्य दिया जाता है।इसके लिए कापी, पेन स्लेट जैसे जरूरत मंद सामग्रियां अत्यंत आवश्यकता होती है।मैंने बड़े उम्मीद के साथ आस लगाए देख रहा हूं, कि मुझे कब तक शासन कि तरह से अनाथ सहायता राशि भत्ता पेंशन कब से मिलना चालू हो जाएगा। जिससे मेरा आर्थिक समस्या से जूझ रहा हूं , आर्थिक समस्या का बोझ कब तक हल्का हो जाएं, और मेरे सिर में आर्थिक बोझ मडरा रहा है वह कब तक दूर हो जाएं ।जिस प्रकार समस्या हो रही है,कि मैं अनाथ छोटा बच्चा जाऊं तो कहा जाऊ इस छोटी सी उम्र में रोजगार (मजदूर )के लिए किसके पांव पकडूं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। आखिर मेरा नाना जी मुझे कितने दिनों तक देख भाल करेंगे, यदि शासन -प्रशासन कि ओर से मुझे प्रतिमाह भत्ता मिलता रहता तो सभी बच्चों की तरह मैं भी कुछ कमी का महसूस नहीं करता। समाज में खुलकर जीवन व्यतीत करता, खुशी जीवन निर्वाह करता होता, मैं गरीब अनाथ दुर्गेश कुमार यादव स्वयं गरियाबंद जा कर आवेदन जमा किया हूं।इसके संबंधित अधिकारी से फोन के माध्यम से जानकारी पूच्छी गई, तो दो तीन महीने के अंदर में भत्ता जमा होने का संदेश बताया गया था। लेकिन दो तीन महीने से भी ज्यादा दिन होने को जा रहा है, भत्ता मेरे खाते में अब तक जमा नहीं हुई है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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