आंगनबाड़ी बाल-बच्चे प्रारंभिक शिक्षा से दूर संवेदनशील साफ-सुथरा सुरक्षित भवन अभाव में मकान किराया पर कक्षा संचालित…।।।।

देवभोग – ब्लाक मुख्यालय से करीबन दस बारह किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत झाखरपारा, आश्रित ग्राम टांडी पारा में प्रशासनिक की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

           दरअसल बात यह है कि झाखरपारा (टांडी पारा) में आंगनबाड़ी केंद्र भवन शासन-प्रशासन द्वारा सन् 2007 में स्वीकृत दी गई थी , लेकिन आज दिन पर्यन्त तक भवन निर्माण पूर्ण नहीं हो पाया है। इस भवन को उक्त ग्राम पंचायत ने किसी ठेकेदार को भवन निर्माण हेतु ठेके में दे दिया गया था लेकिन, ठेकेदार ने भवन को किसी कारण वश आधा-अधूरा बना कर छोड़ दिया है। भवन अपूर्ण होने की वजह से वैकल्पिक व्यवस्था पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्यासी यादव किराया में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किसी दूसरे के मकान में हर साल जगह बदल- बदल कर लगभग सोलह साल से भी अधिक हो चुका है, वह कक्षा संचालित कर रही हैं। कभी कभी तो मौसम खुला रहता है तो उसी समय रंगमंच पर कक्षा संचालित करती है।भवन आधा-अधूरा बना है, इसी लिए मजबूर में किसी दूसरे के मकान में तो रंगमंच में कक्षा संचालित करती है।यह स्थिति सन् 2007 से अबतक लगातार निरंतर चलती आ रही है। आधा-अधूरा भवन को पूरा करने में प्रदेश व जिला में जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार बदली लेकिन अभी तक भवन का एक रद्दा ईंट तक जोड़ाई नहीं हो सकीं।भवन जस का तस पड़ा है। आखिर ऐसा क्या वजह है जोकि यह भवन कार्य में विराम लगा हुआ है। संबंधित विभाग और स्थानीय जिम्मेदार देखकर भी अनदेखी कर आंख बंद करके बैठी है ऐसा क्यों? यदि इस तरह से बच्चों के प्रथम शिक्षा, पोषण, और स्वास्थ्य की पहली सीढ़ी पर व्यवस्था में कमजोर पड़ गया तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो सकती है।

 

        ग्रामीण अंचलों के छोटे-छोटे बाल बच्चें को पोषण स्वास्थ्य और प्रारंभिक शिक्षा की जिम्मेदारी जिस स्तर पर होनी है उसकी यह स्थिति विकास के दावों की सच्चाई बयां कर रही है। 

 

           गौरतलब है कि हाल ही में आस-पास की पंचायतों में नए आंगनबाड़ी भवन निर्माण हेतु लाखों रुपए स्वीकृत दिए जाने के बावजूद भी जिम्मेदार प्रशासन न ग्रामीणांचलों की तस्वीरें बदलने कि दाव किए थे। इसी तर्ज पर आज झाखरपारा (टांडी पारा) की यह स्थिति उन दावों पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आंगनबाड़ी जैसी संवेदनशील सेवाओं के लिए साफ-सुथरा और सुरक्षित स्थान अनिवार्य है, क्योंकि यहां पोषण आहार सुव्यवस्थित हो, टीकाकरण, और प्रारंभिक शिक्षा जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। बच्चों को कच्चरा,व असुरक्षित जगहों पर आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करना बच्चों के लिए न तो स्वास्थ्य के खतरा है, बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही लापरवाही को भी उजागर करता है।

          ग्रामीण चवन यादव ने बताया कि, महिला एवं बाल विकास विभाग और स्थानीय जिम्मेदार अबतक इस स्थिति से अनजान बने हुए है।हर साल करोड़ों रुपए आंगनबाड़ी भवन निर्माण और पोषण सुधार योजनाओं पर खर्च किए जाते हैं, इसके बावजूद बच्चों को ऐसा अस्वस्थ वातावरण प्रदान करना गंभीर सवाल उठता है ?

 

            ग्रामीणों ने मांग की है कि शासन-प्रशासन तत्काल आधा-अधूरा बनाया हुआ आंगनबाड़ी केंद्र को जल्द से पूर्ण करवा कर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखी जा सकती है। यदि भवन निर्माण में किसी भी तरह कि प्रक्रियाएं अपनायी नहीं गई , तो उसी दौरान सभी ग्रामीण जनता जनांदोलन करने को तैयार है इसकी जिम्मेदारी स्थानीय जनप्रतिनिधि,अधिकारी व कर्मचारी होंगे।

Prakash Jaiswal
Author: Prakash Jaiswal

यह भी पढ़ें

[democracy id="1"]
December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  

टॉप स्टोरीज