राजधानी से जनता तक/ चरण सिंह क्षेत्रपाल

देवभोग – गरियाबंद जिले के दूरस्थ ग्राम पंचायत झाखरपारा में आंगनबाड़ी केंद्र की भौतिक स्थितियां। छत्तीसगढ़ राज्य शासन-प्रशासन द्वारा बच्चों के पोषक स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर लगातार नई योजनाओं को लागू किया जा रहा है। तो शासन-प्रशासन आंगनबाड़ी भवनें स्वीकृत दी जा रही है। ताकि बच्चों को सुरक्षित और अनुकूल वातावरण पर्याप्त मात्रा में मिल सकें। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही स्टोरी है।देवभोग विकास खण्ड के अंतर्गत ग्राम पंचायत झाखरपारा आश्रित ग्राम टांडी पारा में विभागीय लापरवाही बरती गई है जहां आंगनबाड़ी केंद्र किराए के मकान में कक्षाएं संचालित हो रही है। उक्त ग्रामीण चवन यादव ने बताया कि आंगनबाड़ी भवन निर्माण हेतु शासन-प्रशासन द्वारा सन् 2007 में लाखों रुपए स्वीकृत किए गए है। आंगनबाड़ी भवन पूरी तरह से खंडहर बन गई है, कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। कार्यकर्ता बारह महीने रूम बदल-बदल कर बच्चों को पौष्टिक भोजन व कक्षाएं संचालित कर रही है , तो उसी दरम्यान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताई कि निर्माण बंद पड़ा है। इस लापरवाही के चलते आज छोटे-छोटे नन्हे मुन्ने बच्चें को किराए के मकान में किसी भी तरह से केन्द्र संचालित हो इस मंशा से गांव में जगह बदल-बदल कर बच्चों को शिक्षा से जोड़ें रहने के लिए कोशिशें जारी हैं। वहीं केन्द्र संचालित हो रही है तो वहां न ही पर्याप्त जगह है न ही सुरक्षा की गारंटी। बच्चे मजबूर और असुरक्षित वातावरण में शिक्षा अध्ययन और पौष्टिक भोजन ग्रहण करने में विवश हैं। टांडी पारा निवासियों का कहना है कि कई बार विभागीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसे देख भी चुके है लेकिन अब तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। विभागीय लापरवाही साफ झलकती है कि बच्चे के भविष्य की चिंता कागजों में ही दिखती है। वास्तविक स्थिति को देखा जाए तो देखने में आपको कुछ भी दिखाई नहीं देंगे।आधा अधुरा भवन यदि जल्द निर्माण कार्य शुरू किया गया ,तो उसी दौरान टांडी पारा के निवासी जनआंदोलन करने को तैयार है। इसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारीयों होंगे।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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