राजधानी से जनता तक/ चरण सिंह क्षेत्रपाल

देवभोग – गरियाबंद जिले के देवभोग मुख्यालय से लगभग 06 किलोमीटर निकटतम दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत डूमरबाहाल आज छत्तीसगढ़ के लिए मिसाल बन कर उभरा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और स्वच्छ भारत मिशन में सम्मानित प्रयासों से इस गांव की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है।डूमरबाहाल की स्वच्छाग्राही महिलाओं ने गांव की गलियों, नालियों , सार्वजनिक स्थलों, नलकूप शासकीय दफ्तरों पर कचरा प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालते हुए गांव में साफ-सफाई का रख रही है ध्यान। केवल पर्यावरण की रक्षा ही नहीं बल्कि आजिविका का नया मार्ग भी तैयार किया है।
गांव के सुखे व कच्चे कच्चराओं को मनरेगा से सेग्रीगेशन शेड का प्रबंधन
गांव में मनरेगा के तहत सेग्रीगेशन शेड ( कच्चरा पृथक्करण केन्द्र) का निर्माण किया गया है। जहां सूखा कच्चरा जैसे प्लास्टिक,जरी कागज व कार्टून को छाटकर अलग अलग रखा जाता है। और उसे किसी कवाड़ खाना में विक्रय कर दिया जाता है। और गिल्ला कच्चरा को
सेग्रीगेशन शेड में डाल दिया जाता है।शेड भर जाने की स्थिति पर उसे निकाल कर किसी दूसरे जगहों पर रखा जाता है। सड़-गल जाने की स्थिति पर उसे अपने खेतों में जैविक खाद की तरह डालते हैं।
स्वच्छाग्राही महिलाएं गांव की साफ-सफाई और स्वच्छता की मिसाल कायम है बरकरार
गांव में स्वच्छाग्राही महिलाओं की योगदान से गांव की गलियों, सार्वजनिक स्थलों चौंक चौराहे, नलकूप व स्कूल प्रांगण में अब स्वच्छता की मिसाल कायम हो रही है। स्वच्छाग्राही महिलाओं के द्वारा गांव में सप्ताह में दो बार ट्रायसिकल के जरिए घर-घर से कच्चरा संग्रहण 10 रूपए मासिक स्वच्छता शुल्क और ग्राम पंचायत द्वारा 6000/ हजार रुपए की सहयोग राशि दी जाती है।
गांव में कच्चरा साफ-सफाई से ग्रामीण जनों ने स्वच्छाग्राही महिलाओं को किया गया सराहना
गांव में साफ सफाई की व्यवस्था सतत् रूप से संचालित हो रही है। गांव में साफ सफाई को लेकर ग्रामीण जनताओं ने स्वच्छाग्राही महिलाओं की सामुहिक प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि महिलाओं की नेतृत्व क्षमता से गांव में वास्तविक बदलाव आया है। गांव में हर जगह साफ-सफाई कर अपनी योगदान देने में सक्षम हो रही है। शासन-प्रशासन द्वारा स्वच्छाग्राही महिलाओं को साफ सफाई करने जैसे स्वच्छता किट पंचायत द्वारा प्रदान किया गया है।
गांव में केवल साफ-सफाई नहीं बल्कि आत्मनिर्भर और नवाचार का प्रतीकात्मक रूप है
अब यह गांव केवल क्लीन एंड ग्रीन ही नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता और नवाचार का प्रतीक बन चुका है। गांव में महिलाओं ने जागरूकता दिखाई, रास्ते में पड़े कच्चरा झिल्लियां व अपशिष्ट अवशेषों को साफ-सफाई कर गांव को बनाया हरियाली की छाया। स्वच्छाग्राही महिलाओं ने बताई कि हमें अपने गांव को स्वच्छ और सुंदर रखना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है।हम सभी महिलाएं पूरे तन-मन से गांव के गलियों, चौंक चौराहे , शासकीय,व सार्वजनिक स्थलों को साफ-सफाई कर स्वच्छता की मिसाल कायम हो रही है।
सुखा कच्चरा का प्रबंधन
जहां सुखा कच्चरा जैसे कि झिल्लियों,कागजों व कार्टून को अलग कर उसे किसी कवाड़ खाने में बेच दिया जाता है। जिसमें कुछ आमदनी में इजाफा होती है।
गिल्ला कच्चरा का प्रबंधन
गिल्ला कच्चरा से जैविक खाद तैयार कर उसे पौधारोपण में उपयोग किया जाता है। जहां आमदनी हो रही है वहीं नाफेड टैंक के जरिए खाद निर्माण से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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