कृषि भूमि, नदी-नालों की बलि देकर शारडा एनर्जी करेगा अपना विस्तार

राजधानी से जनता तक । रायगढ़ । तमनार, रायगढ़ का ऐसा तथाकथित विकसित हिस्सा जहां आम आदमी के जाने भर से रूह कांप जाती है। उद्योगों ने यहां की सड़कों का जो हाल किया है वह लगातार सड़क हादसों में हो रही मौतों से स्पष्ट है। हुकराडीपा चौक तक आप दोपहिया वाहन तक पहुंच गए तो किस्मत है। इसी के आगे है कोयले का खजाना जिसे लूटने का खेल शुरू हो चुका है। अनुमति से कई गुना खोदाई नई बात नहीं है पर अब इस क्षेत्र में नए संयंत्र और पुराने की क्षमता बढ़ाने का खेल शुरू हो गया है। इसी क्रम में 1 मार्च को बजरमुड़ा में मेसर्स सारडा एनर्जी एंड मिनरल लिमिटेड अपने कोल वाशरी की क्षमता विस्तार के लिए पर्यवरणीय सुनवाई आयोजित करने जा रहा है।

 

वर्तमान में सारडा एनर्जी की क्षमता 0.96 मीट्रिक टन प्रति वर्ष है जिसे वह बढ़ाकार 5.2 मीट्रिक टन करने वाला है। यानी करीब 6 गुना अधिक विस्तार, ऐसा क्यों के सवाल पर स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिक क्षमता के कोल वाशरी या संयंत्र को शुरू करने में बहुत दिक्कत होती है। इसी कारण जानबूझकर पहले छोटे स्तर पर इन्हें स्थापित किया जाता है फिर इसका विस्तार किया जाता है। कोल वाशरी क्या है यह जैसे ही आप किसी से पूछेगें या इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो इसके दुष्परिणाम ही सामने आएंगे। जहां कोल वाशरी होती + वहां के आसपास की खेती योग्य जमीन धीरे-धीरे बंजर हो जाती है। पानी के स्त्रोत प्रदूषित हो जाते हैं। विदित हो कि कोल वाशरी में कोयले को धोया जाता है जिससे कोयले के विशिष्ट गुरुत्व और शेल, रेत -और पत्थरों आदि जैसी अशुद्धियों के

 

पृथककरण की ऐसी प्रक्रिया है ताकि इसके भौतिक गुणों को बदले बिना अपेक्षाकृत शुद्ध कोयला प्राप्त किया जाता है। इन अशिष्ट पदार्थों को कोयले से जितना अधिक हटाया जा सकता है कुल राख सामग्री उतनी ही कम होगा और इसका बाजार मूल्य उतना ही अधिक और इसका परिवहन लागत कम होगा। उत्पादित धुले हुए कोकिंग कोल को इस्पात या बिजली संयंत्रों में भेजा जाता है। कोयले की गुणवत्ता बढ़ाने की प्रक्रिया में कृषि योग्य भूमि और आसपास की नदियों को भारी नुकसान होता है क्योंकि कोयले की धुलाई के बाद निकला रसायुक्त जहरीला पानी हर किसी के लिए नुकसान दायक है। औद्योगिक नगरी के रूप में पूरे – देश में अपनी साख बनाने वाला रायगढ़ विकास के कई कीर्तिमान रच रहा है।

 

इस विकास की एक बड़ी कीमत जिले ने चुकाई है और वह चुका भी रहा है। इसके बाद भी उद्योगपतियों का पेट नहीं भर रहा है। कांक्रीट के जंगल और चिमनियों की अतिरेक ने यहां की फिजा में विष घोल दिया है। पर्यावरण व औद्योगिक सुरक्षा विभाग के नाक नीचे उद्योग विभाग की शह पर निजी कंपनियां खुलेआम पर्यवारणीय नियमों को तार-तार कर रही हैं। बीते कुछ सालों में यह देखा गया है कि कम क्षमता के प्लांट जान बूझकर खोले गए हैं और फिर कुछ दिन बाद इसी क्षमता से कई गुना क्षमता का विस्तार एक सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है क्योंकि शुरुआत में प्लांट की क्षमता के आधार पर अधिक दिक्कतें आती हैं। इसका ताजा उदाहरण हैं बजरमुड़ा के जंगलों के बीच सारडा एनर्जी, जिसकी पर्यावरणीय सुनवाई 1 मार्च को रखी गई है।

 

कोल वाशरी की वर्तमान क्षमता 0.96 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है जिसे 5.2 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष किये जाने को लेकर पर्यावरणीय सुनवाई रखी गई है। कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार क्षमता विस्तार दो चरणों में किया जाएगा। इससे खम्हरिया, सराईटोला, बजरमुड़ा, रोडोपाली, चितवाही, डोलेसरा, बांधापाली, कुंजेमुरा, सारसमल, गारे, मिलूपारा गांव पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे। विदित हो कि इन ग्राम के आसपास इमारती वन हैं। जिन्हें एक समय योजना के तहत वन विभाग ने ही रोपित किया था। बाद में इन वनों का विस्तार होता गया।

फर्जी ईआईए रिपोर्ट के आधार पर धूल झोंकने की कोशिश

जिस बजरमुड़ा ग्राम में सारडा एनर्जी के कोल वाशरी का विस्तार किया जा रहा है वह पूर्व से ही भयंकर प्रदूषणकारी क्षेत्र माना जाता है। इस क्षेत्र में स्थापित उद्योगों के लिए कई बार सामाजिक संगठन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तक पहुंचे कई मामलों में प्लांट प्रबंधकों को लाखों रूपये का अर्थदंड देना पड़ा, बावजूद इसके उद्योगों के विस्तार की अनुमति दी जा ही है। चूंकि लोक सुनवाई अनुमति मिलने की औपचारिकता है इसलिए 1 मार्च को यह रस्म अदायगी भी कर दी जाएगी। जब इतने दांव-पेंच पहले से ही कंपनी के विस्तार वाली जगह पर है तो यह तय है कि कंपनी फर्जी तौर पर ईआईए रिपोर्ट तैयार किया है।

ग्रामीणों के विरोध को किया जा रहा दरकिनार

तमनार से बजरमुड़ा आज लोग कार में भी जाने से कतराते हैं क्योंकि उद्योगों की गाड़ियों की रेलम-पेल और अंधाधुंध प्रदूषण ने हादसों को बढ़ा दिया। यह मौत की सड़क नाम के कुख्यात है। जब लोगों को वहां जाने से रोक दिया तो आप इन प्लांट के आसपास रहने वाले लोगों की नारकीय जीवन की कल्पना कर सकते हैं। नए उद्योग और विस्तार की नाम से ही यहां लोग कांप उठते हैं कि अब फिर से एक नई बीमारी और पीढ़ियों को नाश करने वाले रोग उन्हें लगेंगे। सवाल यह है कि हमें कितना विकास चाहिए और किस कीमत पर और कब तक।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय होता हुआ राजधानी से जनता तक दैनिक अखबार के साथ न्यूज पोर्टल, यूटयूब चैनल,जो दिन की छोटी बड़ी खबरों को जनमानस के बिच पहुंचाती है और सेवा के लिए तत्पर रहती है dainikrajdhanisejantatak@gmail.com

यह भी पढ़ें

[democracy id="1"]
September 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  

टॉप स्टोरीज