कोरबा: राखड़ प्रदूषण बना ग्रामीणों के लिए अभिशाप, हक की लड़ाई लड़ रहे ग्रामीण

राजधानी से जनता तक |कोरबा| एनटीपीसी के पावर प्लांट से निकल रही राखड़ (फ्लाई ऐश) अब ग्रामीणों के लिए गंभीर संकट बन चुकी है। खदानों में मिट्टी के साथ मिलाकर राखड़ भरने की प्रक्रिया को बंद कर केवल राखड़ से भराव करने के कारण अब राखड़ के पहाड़ बन गए हैं, जो हल्की हवा चलने पर भी उड़कर आसपास के गांवों तक पहुंच रही है। इससे न केवल ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि उनके घरों, खाने के सामान और खेती को भी नुकसान हो रहा है।

राखड़ से बर्बाद हो रही फसल और बिगड़ रहा स्वास्थ्य

धनरास, लोतलोता और घमोटा जैसे गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि राख उड़ने के कारण बाड़ी में उगाई गई सब्जियां खराब हो रही हैं। खाने-पीने की चीजें राख से ढक जाती हैं, जिससे वह उपयोग योग्य नहीं रह जातीं। सबसे बड़ी चिंता लोगों के स्वास्थ्य को लेकर है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को सांस की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

प्रबंधन से टकराव: भूविस्थापितों का तीन दिवसीय धरना और कामबंदी आंदोलन

एनटीपीसी राखड़ डैम से प्रभावित किसानों और भूविस्थापित ग्रामीणों का आक्रोश अब आंदोलन में तब्दील हो गया है। 2 से 4 जून तक सात सूत्रीय मांगों को लेकर ग्रामीणों ने धरना दिया। इसके पश्चात 5 जून को विधायक प्रेमचंद पटेल के नेतृत्व में ‘काम बंद आंदोलन’ किया गया। आंदोलन के दौरान जब एनटीपीसी प्रबंधन ने लोतलोता और घमोटा गांव को प्रभावित क्षेत्र से अलग मानने की बात की, तो ग्रामीणों का आक्रोश और भी बढ़ गया।

ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि घमोटा ग्राम पंचायत धनरास की सीमा में आता है और लोतलोता के 22 किसानों की जमीन को राखड़ डैम के लिए अधिग्रहित किया गया है। अधिग्रहण के समय ग्रामीणों को मुआवजा, आवास और अन्य सुविधाएं देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक कोई वादा पूरा नहीं किया गया।

राख से किया गया विरोध, अधिकारी बने निशाना

जब एनटीपीसी के अधिकारी ग्रामीणों को समझाने पहुंचे, तो गुस्साए ग्रामीणों ने उन पर राख फेंककर विरोध जताया। स्थानीय आक्रोश का प्रतीक के रूप में दिखाया गया , यह उस लापरवाही का परिणाम था जिससे वर्षों से गांववाले जूझ रहे हैं। हालांकि, घटना के बाद अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच बैठक हुई मगर ठोस बात नहीं बन पाई।

लापरवाहीपूर्ण राखड़ प्रबंधन बन रही समस्या

ग्रामीणों का आरोप है कि एनटीपीसी द्वारा राखड़ डैम का सही प्रबंधन नहीं किया जा रहा है। गर्मियों में सूखी राख उड़कर गांवों तक पहुंचती है, जिससे हवा और जल दोनों प्रदूषित हो रहे हैं। राखड़ की ऊंची ढेरें किसी भी समय पर्यावरणीय आपदा को जन्म दे सकती हैं।

Sangam Dubey
Author: Sangam Dubey

छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय होता हुआ राजधानी से जनता तक दैनिक अखबार के साथ न्यूज पोर्टल, यूटयूब चैनल,जो दिन की छोटी बड़ी खबरों को जनमानस के बिच पहुंचाती है और सेवा के लिए तत्पर रहती है dainikrajdhanisejantatak@gmail.com

यह भी पढ़ें

[democracy id="1"]
October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  

टॉप स्टोरीज