गर्भवती महिला और जच्चा-बच्चा की मौत – सरकारी डॉक्टर की लापरवाही से उजड़ा घर, क्या मिलेगा न्याय?

गरियाबंद-:गरियाबंद जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। ग्राम धुरसा में सात माह की गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत संदिग्ध दवाओं और मेडिकल लापरवाही के चलते हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि इलाज करने वाला डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ होने के बावजूद अपने घर पर निजी क्लीनिक चलाकर इलाज करता था।
मृतका का नाम मीना गायकवाड़ है, पति थानेश्वर गायकवाड़। परिजनों के अनुसार, मीना का इलाज नयापारा के कृष्णा मेडिकल (जिहाद डॉक्टर) और ग्राम मोहतरा के डॉ. दिनेश कंवर के पास चल रहा था। शनिवार को परिजन उसे डॉ. कंवर के पास लेकर पहुंचे। आरोप है कि डॉ. कंवर ने टॉनिक और दवाइयाँ दीं।
महिला ने दोपहर करीब 3 बजे दवा का सेवन किया, लेकिन थोड़ी ही देर बाद तबीयत बिगड़ने लगी। शाम तक हालत इतनी खराब हो गई कि सांस और धड़कन बंद जैसी स्थिति बन गई। परिजनों ने स्थानीय डॉक्टर को बुलाया, जिन्होंने धड़कन रुकने की पुष्टि की और तुरंत अस्पताल ले जाने की सलाह दी। आनन-फानन में महिला को राजिम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जच्चा और बच्चा दोनों को मृत घोषित कर दिया।
*परिजनों का आरोप*
मृतका के परिजनों का कहना है:
“यह कैसा इलाज है कि दवा खाने के तीन घंटे बाद ही मरीज की मौत हो जाए?”
“सरकारी पद पर रहते हुए कोई डॉक्टर निजी क्लीनिक कैसे चला सकता है?”
“हमारी बेटी और उसका बच्चा झोलाछाप इलाज की भेंट चढ़ गए। हम दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं।”
*प्रशासन पर उठे सवाल*
अब बड़ा सवाल यह है कि जब स्वास्थ्य विभाग का पदस्थ कर्मचारी ही निजी क्लीनिक चलाकर इलाज करेगा और इस तरह की लापरवाहियां होंगी, तो गरीब और आम जनता कहां जाए?
परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। फिलहाल, मामला गरियाबंद जिले में गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना यह है कि क्या स्वास्थ्य विभाग इस दर्दनाक घटना पर हरकत में आता है या फिर यह भी सिर्फ फाइलों में दबकर रह जाएगा।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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