मवेशियों की फसल चराई से त्रस्त ग्रामीणों ने बुलाई आपात बैठक

छुईखदान-ग्राम उदयपुर समेत पूरे जिले के गांवों में मवेशियों की समस्या विकराल होती जा रही है। कांजी हाउस में लगातार हो रही गायों की मौत रोकने के लिए ग्रामीणों ने उन्हें खुले में छोड़ दिया। मौत का सिलसिला थम गया, लेकिन अब यही मवेशी खेतों में घुसकर किसानों की सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद कर रहे हैं। आए दिन विवाद की स्थिति बन रही है, जिसके चलते ग्रामीणों ने आपात बैठक बुलाई और आधा दर्जन से अधिक ग्रामीणों को दंडित किया।
समस्या से निपटने के लिए ग्रामीणों ने क्षेत्रवासियों के सहयोग और जिले के दानदाताओं से दान लेकर श्रीकृष्ण गौशाला निर्माण का कार्य शुरू किया है। यह निर्माण शासन के अनुदान से नहीं, बल्कि पूरी तरह ग्रामीणों और दानदाताओं की मेहनत व सहयोग से हो रहा है। फिलहाल गौशाला अधूरी है, इसलिए मवेशियों को अस्थायी रूप से वहीं रखा जा रहा है और ग्रामीण दिन-रात पाली बनाकर पहरा दे रहे हैं ताकि फसल बचाई जा सके।
ग्रामीणों का आरोप है कि शासन द्वारा छोड़ी गई चारागाह भूमि पर बड़े किसानों ने कब्ज़ा कर लिया है। चारा उपलब्ध न होने से मवेशी मजबूरी में किसानों की खड़ी फसलों को चरने को मजबूर हैं। साथ ही पूर्व में मवेशियों की व्यवस्था सुधारने के नाम पर जो दंड और चंदा वसूला गया था, उसका अब तक कोई हिसाब नहीं दिया गया, जिससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि जब तक पारदर्शिता नहीं होगी, तब तक गांव की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ पाएगी।
इस पूरे मुद्दे पर युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष गुलशन तिवारी ने कहा कि भाजपा बार-बार गौ माता के नाम पर वोट मांगती है, लेकिन जब बात उनकी सुरक्षा और संरक्षण की आती है तो शासन पूरी तरह मौन हो जाता है। आज पूरे जिले के गांवों में गायों की हालत बद से बदतर है, शासन के पास कोई ठोस योजना नहीं है। यह सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या गौ माता सिर्फ़ एक राजनीतिक मुद्दा बनकर रह गई हैं?
गुलशन तिवारी ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर चारागाह की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराए और गौशाला निर्माण का कार्य शीघ्र पूरा किया जाए। तभी किसानों की मेहनत और गौ माता दोनों सुरक्षित रह पाएँगे
