गंडई-पंडरिया। डिजिटल इंडिया और 5जी नेटवर्क की ओर तेजी से बढ़ते देश में आज भी कई ग्रामीण अंचल नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं। नगर से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर बसे ग्राम मुंडाटोला, दुल्लापुर, सेतवा, सर्राकापा, ढाबा, बसावर, कटंगी समेत आसपास के दर्जनों गांवों में मोबाइल नेटवर्क न मिलने से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बीते साल भर से संचार व्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही है और संचार कंपनियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

ग्रामीण बताते हैं कि आपातकालीन स्थिति में यह समस्या और गंभीर हो जाती है। किसी की तबीयत खराब होने या अन्य आपात स्थिति में लोगों को घंटों छतों और सड़कों पर नेटवर्क खोजते हुए वक्त गंवाना पड़ता है। यही कारण है कि क्षेत्र के उपभोक्ता अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
*टावर लगा, लेकिन नेटवर्क गायब*
ग्राम खौड़ा में जियो और आइडिया कंपनी के दो टावर लगे हुए हैं। बावजूद इसके आस-पास के गांवों में नेटवर्क की स्थिति बेहद खराब है। ग्रामीणों ने बताया कि टावर में पावर सप्लाई ही नहीं होने के कारण नेटवर्क सही ढंग से काम नहीं करता। उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्होंने महंगे रिचार्ज कराने के बावजूद सुविधा नहीं मिल पाने पर कई बार शिकायत की, लेकिन कंपनी की ओर से किसी भी प्रकार का निराकरण नहीं हुआ।
ग्रामीणों की मजबूरी – छत और चौक-चौराहों पर तलाशते हैं सिग्नल
गांव के लोग बताते हैं कि पहले नेटवर्क की स्थिति बेहतर थी, इसी कारण उन्होंने अन्य कंपनियों का सिम छोड़कर जियो और आइडिया का उपयोग करना शुरू किया। लेकिन बीते तीन माह से स्थिति इतनी खराब हो गई है कि नेट चलाने या कॉल करने के लिए लोगों को घर की छत, चौक-चौराहों और सड़कों पर खड़ा होना पड़ता है। यहां तक कि घर-परिवार और रिश्तेदारों से बात करने के लिए भी छत पर चढ़ना मजबूरी बन गया है।
*जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की प्रतिक्रिया*
“ग्राम खौड़ा में दो कंपनियों के टावर होने के बावजूद नजदीकी गांवों में नेटवर्क की समस्या बनी हुई है। कभी-कभी आपातकाल के समय नेटवर्क पूरी तरह गायब हो जाता है, जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। कंपनियों को इस ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए।”पूर्व सरपंच रजेलाल पटेल* (ग्राम दुल्लापुर)
“क्षेत्र में टावर की भारी समस्या है। यह सिर्फ आम जनों के लिए नहीं बल्कि शासकीय कार्यों और पंचायत की ऑनलाइन सेवाओं के लिए भी बड़ी बाधा बन रही है।”वर्तमान सरपंच बलराम पटेल
“लगातार दो माह से नेटवर्क की स्थिति बेहद खराब है। जरूरी कामों के लिए नेट स्लो हो जाने से हमें शहरी क्षेत्र में जाकर ऑनलाइन कार्य करना पड़ रहा है। यह स्थिति ग्रामीणों के लिए बेहद तकलीफदेह है।”समाज सेवक गंगाराम पटेल
पूर्व सरपंच भागवत मरकाम ने कहा “इन दिनों नेट की स्पीड इतनी स्लो है कि डेटा का सही उपयोग नहीं हो पा रहा। बैंक, डाकघर, सीएससी सेंटर और स्कूल जैसे संस्थानों के ऑनलाइन कार्य प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों की रोजमर्रा की जिंदगी भी इससे प्रभावित हो रही है।”
ऑनलाइन सेवाओं पर असर
गांवों में पंचायत, शिक्षा, बैंकिंग और अन्य विभागों को तेजी से ऑनलाइन सेवाओं से जोड़ा जा रहा है। लेकिन नेटवर्क न होने के कारण ग्रामीणों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। सीएससी सेंटर और ऑनलाइन दुकानदारी करने वाले छोटे व्यवसायियों को तो सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि जब देश डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहा है तब गांवों को इससे वंचित रखना सही नहीं है। नेटवर्क की समस्या के कारण युवा वर्ग पढ़ाई, प्रतियोगी परीक्षाओं और ऑनलाइन क्लास से भी वंचित हो रहे हैं। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन और संचार कंपनियों से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द इस समस्या का स्थायी समाधान किया जाए, ताकि वे भी डिजिटल इंडिया का लाभ उठा सकें।
ग्रामीण अंचल के लोग अब बस एक ही बात कह रहे हैं – “महंगे रिचार्ज कराने के बाद भी अगर नेटवर्क न मिले तो डिजिटल इंडिया का सपना अधूरा ही रहेगा।”
