पत्रकारों पर हमले से गरियाबंद में उबाल, अल्टीमेटम के साथ गरजा चौथा स्तंभ — 7 दिन में कार्रवाई नहीं तो चक्काजाम तय!”

थनेश्वर बंजारे /राजधानी से जनता तक

जब कलम पर हमला होता है, तो लोकतंत्र कांपता है” — गरियाबंद में पत्रकारों का गरजता विरोध

गरियाबंद-:पितईबंद रेत खदान में पत्रकारों पर हुए जानलेवा हमले के बाद गरियाबंद जिले का माहौल पूरी तरह गरमा गया है। घटना के विरोध में जिलेभर के पत्रकारों ने एकजुट होकर जिला कलेक्ट्रेट के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन केवल नाराजगी नहीं, बल्कि एक सख्त चेतावनी भी था — “अगर 7 दिन में कार्यवाही नहीं, तो चक्काजाम तय।”

9 जून को अवैध रेत खनन की खबर की पुष्टि करने पहुंचे पत्रकारों पर खनन माफियाओं ने हमला कर दिया। कैमरे और मोबाइल तोड़ दिए गए, पत्रकारों को पीटा गया और खदान में घसीटा गया। यह हमला सिर्फ कुछ व्यक्तियों पर नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा वार था।

प्रशासन को सौंपा ज्ञापन, कलेक्टर से मिले आश्वासन

प्रदर्शन के दौरान पत्रकार प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से मुलाकात की। कलेक्टर ने 7 दिनों में दोषियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया। फिलहाल आंदोलन को स्थगित किया गया है, लेकिन चेतावनी स्पष्ट है — समयसीमा में कार्रवाई नहीं हुई तो जिलेभर में उग्र आंदोलन और चक्काजाम किया जाएगा।

केवल हमले का नहीं, पूरी व्यवस्था का विरोध

ज्ञापन में दोषियों पर कार्रवाई के साथ-साथ खनिज विभाग की भूमिका की भी जांच की मांग की गई है। पत्रकारों का आरोप है कि बिना प्रशासन की मिलीभगत के अवैध खनन संभव नहीं। खनिज अधिकारी को हटाने और विभागीय जांच की मांग की गई है।

प्रदेशभर से मिला समर्थन

छत्तीसगढ़ पत्रकार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव ने आंदोलन को पूर्ण समर्थन देते हुए चेतावनी दी है कि अगर गरियाबंद प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की तो प्रदेशव्यापी आंदोलन होगा।

SP का बयान और पत्रकारों की आशंका

पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने बताया कि कुछ संदिग्धों पर कार्रवाई हुई है, जल्द गिरफ्तारी की जाएगी। मगर पत्रकारों को डर है कि यदि प्रशासन ने ढील दी, तो यह मामला भी अन्य मामलों की तरह दब जाएगा।

धरना बना एकजुटता का प्रतीक

राजिम, देवभोग, मैनपुर, छुरा, फिंगेश्वर और रायपुर से पहुंचे पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि अब न डरेंगे, न रुकेंगे — यह विरोध नहीं, बदलाव की शुरुआत है।

अब निगाहें प्रशासन पर

अगर समयसीमा में कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल पत्रकारों के लिए, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खतरे की घंटी होगी। सवाल है — क्या गरियाबंद की रेत में उठी आवाज रायपुर तक पहुंचेगी?

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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