पूर्व मुख्य न्यायाधीश की दो टूक – वेदांता पर वाइसरॉय की रिपोर्ट निराधार, कानूनन अस्वीकार्य 

छत्तीसगढ़। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने वेदांता लिमिटेड के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर वाइसरॉय रिसर्च ग्रुप की रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हुए उसे “भ्रामक, अवैध लाभ हेतु बनाई गई और कानूनन अस्वीकार्य” करार दिया है। वेदांता को दी गई अपनी 20 पन्नों की विस्तृत कानूनी राय में उन्होंने रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि यह किसी भी भारतीय कानूनी जांच में टिक नहीं सकती डॉ. चंद्रचूड़ ने अपनी राय में कहा कि वाइसरॉय की रिपोर्ट का उद्देश्य केवल वेदांता की छवि को धूमिल करना और बाजार में घबराहट फैलाकर शॉर्ट सेलिंग से मुनाफा कमाना था। उन्होंने इस रिपोर्ट के समय को भी रणनीतिक बताया ऐसा समय जब वेदांता अपनी डी-मर्जर योजना और वित्तीय पुनर्संरचना के दौर से गुजर रही है पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं की साख संदिग्ध है, और पूर्व में वाइसरॉय द्वारा इसी प्रकार की रिपोर्टों पर भारत सहित कई देशों में कानूनी कार्रवाई की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि वाइसरॉय की शैली आमतौर पर कंपनियों के स्टॉक्स पर शॉर्ट पोजीशन लेने, बिना किसी सत्यापन के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर रिपोर्ट प्रकाशित करने और फिर बाजार में गिरावट का लाभ उठाने की होती है। डॉ. चंद्रचूड़ ने राय में विशेष रूप से उल्लेख किया कि इस प्रकार की रिपोर्टें भारत की सशक्त कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रणाली और नियामकीय संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाती हैं। उनका मानना है कि वेदांता, रिपोर्ट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मजबूत स्थिति में है। वेदांता लिमिटेड ने यह कानूनी राय शेयर बाजारों में दाखिल की है। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि उसने अपने सभी प्रकटीकरण लागू कानूनों और नियमों के अनुसार किए हैं, और अब तक किसी भी नियामक या क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कंपनी के खिलाफ कोई नकारात्मक रिपोर्ट नहीं दी है। बावजूद इसके, वाइसरॉय रिपोर्ट के असर को नकारते हुए, वैश्विक संस्थाएं जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका और बार्कलेज ने वेदांता की सकारात्मक रेटिंग बनाए रखी है क्रेडिट एजेंसियों क्रिसिल और आई सी आर ए ने भी वेदांता की ए ए और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की ए ए ए रेटिंग को यथावत रखा है। डॉ. चंद्रचूड़ की कानूनी राय ने वेदांता को वाइसरॉय की भ्रामक रिपोर्ट के विरुद्ध मजबूत कानूनी आधार प्रदान किया है और यह संकेत दिया है कि भारत की न्यायिक प्रणाली इस प्रकार के बाजार हेरफेर के प्रयासों को गंभीरता से लेती है।

Vicky Mahant
Author: Vicky Mahant

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