मोहन प्रताप सिंह

राजधानी से जनता तक, सूरजपुर/भटगांव:– स्वच्छ भारत मिशन और स्वच्छता पखवाड़ा की धूम प्रदेशभर में है। मंचों पर भाषण, कैमरों के सामने झाड़ू पकड़कर फोटोशूट और उपलब्धियों के दावे तो बहुत हैं, लेकिन भटगांव नगर पंचायत की गलियों में असली तस्वीर बिल्कुल अलग है। यहां स्वच्छता व्यवस्था पूरी तरह ठप है और हर वार्ड बदहाल हालात का शिकार है।
कचरे के ढेर ने निगल ली स्वच्छता
भटगांव के मोहल्लों और गलियों में जगह-जगह सड़ा हुआ कचरा, पॉलिथिन और गंदगी के अंबार लगे हुए हैं। हालत इतनी बदतर है कि मवेशी तक इन्हीं कचरों पर चरने को मजबूर हैं। न नियमित सफाई व्यवस्था है, न कचरा उठाव का कोई ठोस सिस्टम।
पूर्व अध्यक्ष का तीखा बयान
पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष सूरज गुप्ता ने कहा नगर पंचायत भटगांव आज स्वच्छता के नाम पर तरस रहा है। स्वच्छता और विकास अब सिर्फ भाषणों और मंचीय दावों तक सीमित रह गए हैं। असलियत क्षेत्रवासी खुद देख और समझ रहे हैं कि आखिर उन्हें क्या खोना पड़ा और क्या पाना मिला।
सूरज गुप्ता के कार्यकाल में भटगांव ने स्वच्छता में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। उस दौरान नगर पंचायत को दो बार राष्ट्रपति पुरस्कार और एक बार प्रदेश स्तरीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।
पार्षद की चिंता, ग्रामीण इलाकों की उपेक्षा
वार्ड नंबर 15 के पार्षद विकास कुमार राजवाड़े ने हालात पर चिंता जताते हुए कहा नगर पंचायत भटगांव में वार्ड-वार्ड गंदगी फैली हुई है, कचरे के ढेर लगे हुए हैं। जिम्मेदार अधिकारी सुनने तक को तैयार नहीं हैं और सिर्फ कर वसूली में लगे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसका खामियाज़ा हमें प्रतिनिधियों को भुगतना पड़ रहा है।
जनता की नाराज़गी और सवाल
स्थानीय लोग अब खुलकर पूछ रहे हैं क्या स्वच्छता सिर्फ फोटोशूट और पुरस्कार तक सीमित है? भटगांव की असली तस्वीर कब बदलेगी?
भीतरघात और गुटबाजी की मार
सूत्रों के अनुसार नगर पंचायत में राजनीतिक गुटबाजी और भीतरघात चरम पर हैं। चुनाव में मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हो रही है। नतीजा यह कि जनता से जुड़े मुद्दों की अनदेखी हो रही है और आपसी राजनीति में ही समय और ऊर्जा खर्च हो रही है।
ज़रूरत अब तत्काल सुधार की
विशेषज्ञों और जनता की राय है कि जिम्मेदार प्रशासन को अब तत्काल ठोस कदम उठाने होंगे। अन्यथा कभी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित भटगांव अब कचरा नगर पंचायत के रूप में बदनाम होने का डर झेल सकता है।
