मां ठाकुराणी पाला सत्संग ग्राम अमाड में बाल कलाकारों ने दी भक्ति संगीत प्रस्तुतियां हुआ उदघाटन समारोह…

राजधानी से जनता तक/ चरण सिंह क्षेत्रपाल 

 

गरियाबंद (देवभोग) – गरियाबंद जिले के देवभोग विकास खण्ड से दूरस्थ ग्राम पंचायत अमाड़ में बीते रात में नवनिर्मित उड़िया भाषा में सीखें गए पाला नाचा की कला गांव के कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी गई, यह पहली बार कला प्रस्तुतियां दी गई, तथा उद्घाटन समारोह भी किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि के रूप जनपद पंचायत सदस्य कुमारी तुलसी बीसी विशिष्ट अतिथि के रूप चम्पेश्वर बीसी सरपंच ग्राम पंचायत अमाड़ व गांव के पुजारी गोटियां वरिष्ठ ग्रामीण जनताओं को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम शुरूआत करने से पहले मां ठाकुराणी व ग्राम की देवी देवताओं को पूजा आराधना करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों एवं वरिष्ठ बुजुर्गो को पुष्प माला व सिंदूर लगाकर सम्मानित किया गया, सम्मान समारोह कार्यक्रम समापन के पश्चात आदरणीयों जनों को कला जत्था मंच में मंचासिन किया गया। कार्यक्रम को आगे गति प्रदान देने में गांव के युवा सिध्देश्वर मोगराज ने स्टेज को सम्भाल कर उक्त कार्यक्रम को सफल क्रियान्वयन हेतु अपना बहुमूल्य समय योगदान दिया।पाला कला जत्था प्रस्तुतियां को लेकर ग्रामीण जनताओं ने अपने यथार्थ में पुरस्कृत किये गए। सबसे पहले गांव कि दो छोटी नन्ही सी बिटिया ने मधुर वाणी व मिठे स्वरों में उड़िया पुराणिक भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां दीं।पाला का शाब्दिक अर्थ है पा+ला = पाली अर्थात पा का मतलब पाली और ला मतलब है लय पाली पाली से लय में संगीत प्रस्तुत किया जाना यह पाला कहा जाता है।यह पाला कला जत्था उड़िया भाषा में प्रस्तुतियां दी जाती है। इसमें सिर्फ एक ही व्यक्ति गीत व कहानियां को प्रस्तुत करने पर अन्य सभी सदस्य लोग दोहराते हैं।पाला में धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, अध्यात्मिक ज्ञान का वर्णन किया जाता है, और उसे उक्त कार्यक्रम में संगीत, कथाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है। जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में रीति रिवाज परंपरानुसार हो रही अनेक काल्पनिक चरित्र को तार्किक किया जाता है। छत्तीसगढ़ उड़ीसा राज्य से लगाव होने के कारण कुछ सीमाएं उड़िसा के कला जत्था प्रस्तुतियां करते हैं। जैसे उड़िया नाटक,पाला, संकीर्तन मण्डली, आदि इन तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भारी उत्साह देखा जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक पूजा उत्सव के दौरान इन कला जत्था का आयोजन रखा जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य धार्मिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में अग्रणीय है,लोग तरह-तरह के कला जत्था की प्रस्तुतियां देने में माहिर है। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ में कला संस्कृति केन्द्र संग्रहालय है जहां देश विदेश के लोग अध्ययन करने आते है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संस्था को योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।

Prakash Jaiswal
Author: Prakash Jaiswal

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