भटगांव नगर पंचायत की सुरक्षा, अनुमति और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल

मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक, सूरजपुर/भटगांव:– जिले के भटगांव नगर पंचायत क्षेत्र में संचालित मीना बाजार अब केवल मनोरंजन का स्थल नहीं रहा, बल्कि नियमों की धज्जियां उड़ाने और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता का प्रतीक बन चुका है। देर रात तक बेधड़क चलने वाला यह मेला नागरिकों की सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है।
अनुमति का रहस्य, हरी झंडी किसके संरक्षण में?
मीना बाजार की सबसे बड़ी पहेली यह है कि इसकी अनुमति आखिर दी किसने और किस नियमावली के तहत? यदि अनुमति नहीं मिली तो यह धड़ल्ले से कैसे चल रहा है? नगर पंचायत सीएमओ और अध्यक्ष अनुमति पत्र सार्वजनिक करने से बचते रहे। क्या यह प्रशासनिक संरक्षण है या किसी अदृश्य शक्ति का खेल?
नोटिस जारी, कार्रवाई ठप, प्रशासन की उदासीनता
नगर पंचायत मुख्यकार्यपालन अधिकारी ने नियम उल्लंघन पर नोटिस जारी किया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। बाजार बदस्तूर चलता रहा और जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने रहे। नागरिक सवाल उठा रहे हैं क्या नोटिस सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति था या किसी दबाव में कार्रवाई रोक दी गई?
सुरक्षा इंतजाम, लापरवाही की हद
मीना बाजार में सुरक्षा का मजाक उड़ाया जा रहा है जहा अग्नि सुरक्षा – न फायर ब्रिगेड की तैनाती, न अग्निशमन यंत्र। स्वास्थ्य सुविधा – प्राथमिक उपचार केंद्र नहीं, एम्बुलेंस की व्यवस्था शून्य। झूले और उपकरण – तकनीकी जांच और फिटनेस सर्टिफिकेट का अभाव। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना होती है तो जिम्मेदार कौन होंगे, प्रशासन या नगर पंचायत?
सीसी कैमरा विवाद, सुरक्षा का दिखावा या प्राथमिकता का खेल?
नगर पंचायत परिसर और दुर्गा पूजा पंडालों में कैमरे नहीं लगे, लेकिन मीना बाजार में सीसी कैमरे जरूर। सीएमओ का कहना की कैमरा नगर पंचायत ने नहीं लगाया। सवाल यह उठता है, यह सुरक्षा दिखावा किसके संरक्षण में किया गया? और जनता की आस्था के पंडालों में सुरक्षा क्यों नहीं?
प्रशासनिक बैठक, केवल दिखावा, कोई ठोस कदम नहीं
करीब पंद्रह दिन पहले भटगांव थाना परिसर में अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम भैयाथान-चांदनी कवर) की मौजूदगी में बैठक हुई। मीना बाजार की मनमानी और सुरक्षा खामियों पर चर्चा हुई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछले साल भी यही विवाद हुआ था, बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया।
नागरिकों का आरोप, अदृश्य शक्ति का संरक्षण
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर प्रशासन सख्त रहता तो मीना बाजार इतनी मनमानी नहीं कर सकता था। उनका आरोप है कि यह पूरा खेल किसी बड़ी अदृश्य शक्ति और स्थानीय जिम्मेदारों की मिलीभगत से संचालित हो रहा है।
सवालों के घेरे में नगर पंचायत
अनुमति पत्र सार्वजनिक क्यों नहीं? नोटिस के बावजूद कार्रवाई क्यों ठप? सुरक्षा इंतजाम क्यों नदारद हैं? झूलों और उपकरणों की तकनीकी जांच किसने की? सीसी कैमरा मीना बाजार में किसने लगवाया? प्रशासनिक बैठक के बावजूद कार्यवाही क्यों नहीं हुई ? नतीजा, आस्था नहीं, लापरवाही का मेला।
मीना बाजार अब केवल मनोरंजन स्थल नहीं, बल्कि लापरवाही और नियमों की अवहेलना का प्रतीक बन चुका जहा बेधड़क संचालन, सुरक्षा की कमी और जिम्मेदारों की चुप्पी ने जनता के सवाल और गहरे कर दिए हैं कि क्या प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाएगा या यह मेला हर साल विवाद और अव्यवस्था का प्रतीक बनकर रह जाएगा?
