सांप काटने पर ईलाज करने पहुंचे तो डॉक्टर नदारद, झाड़-फूंक का लिया गया सहारा, बड़ी लापरवाही की कौन लेगा जिम्मेदारी.?

राजधानी से जनता तक कोरबा। वनांचल क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई ,ग्राम पंचायत तिलाईडांड के पंडरीपानी गांव में 11 जून की रात एक व्यक्ति को सांप काटने के बाद इलाज के अभाव में झाड़-फूंक का सहारा लेना पड़ा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अजगरबहार में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी नदारद मिले, जिससे न केवल व्यवस्था की पोल खुली बल्कि एक जिंदगी जोखिम में पड़ गई।

पीड़ित माखन कंवर (पिता रामसिंह कंवर) को रात लगभग 7:30 बजे  सांप ने काट लिया। परिजन उन्हें तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अजगरबहार लेकर पहुंचे, लेकिन वहां अस्पताल बंद मिला। परेशान परिजन स्टाफ नर्स हेमलता कंवर और सरिता के पास पहुंचे, पर दोनों ने “स्नेक बाइट” का इलाज करने से मना कर दिया। आश्चर्य की बात यह है कि फार्मासिस्ट ने बताया की अस्पताल में एंटी-स्नेक वेनम उपलब्ध थे। इसके बावजूद मरीज को राहत नहीं मिली।

कहां थे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर?

सबसे गंभीर सवाल यह उठता है कि ड्यूटी पर तैनात अस्पताल प्रभारी डॉ. विमलेश्वरी लहरे उस समय कहां थीं? जानकारी के मुताबिक वे सरकारी आवास की बजाय अपने निजी निवास पर थीं और उनका मोबाइल भी बंद आ रहा था। क्या यह लापरवाही नहीं है? अगर कोई बड़ी दुर्घटना हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता.?

संकट की घड़ी में झाड़-फूंक ही सहारा

इलाज न मिलने की स्थिति में परिजन मजबूरन झाड़-फूंक और जड़ी-बूटी का सहारा लेने लगे। गनीमत रही कि समय रहते माखन कंवर की जान बच गई। मगर अपने पीछे कई सवाल छोड़ गए।

स्थानीय जनप्रतिनिधि भी हुए नाराज

घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्रीय विधायक फूल सिंह राठिया ने स्वास्थ्य अधिकारी से तत्काल संपर्क कर लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। विधायक की नाराजगी इस बात से थी कि यह कोई पहली घटना नहीं, बल्कि अस्पताल में लापरवाही की शिकायतें पूर्व में भी मिलती रही हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

कई अहम सवाल उठते हैं –

नाइट ड्यूटी पर डॉक्टर रहते हुए भी वह ड्यूटी स्थल से अनुपस्थित क्यों थीं?

जब अस्पताल में एंटी-स्नेक वेनम मौजूद था, तो इलाज से इनकार क्यों किया गया?

ऐसे अनेक सवाल लोगो के मनो में उठने लगे है।

गांववालों ने चेताया है कि वन क्षेत्रों में मौसम बदलते ही सांपों के काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, ऐसे में अस्पतालों का सक्रिय रहना अनिवार्य है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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