अनुराज साहू जिला ब्यूरो चीफ

सारंगढ़ : जनपद के एक गांव में लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़े होते नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि महिला सरपंच के स्थान पर उनका पुत्र ही वास्तविक रूप से सरपंची चला रहा है। पंचायत से जुड़े लगभग हर मामले में वह खुलकर दखल दे रहा है, जिससे ग्रामसभा की गरिमा और पंचायती राज व्यवस्था की मूल भावना प्रभावित हो रही है।
ग्रामीणों के अनुसार विकास कार्यों की योजना, हितग्राही चयन, पंचायत बैठकों की रूपरेखा से लेकर रोजमर्रा के प्रशासनिक फैसलों तक में सरपंच पुत्र की सीधी भूमिका देखी जा रही है। कई बार तो पंचायत कार्यालय में भी वही निर्देश देता नजर आता है। इससे यह संदेश जा रहा है कि निर्वाचित प्रतिनिधि की जगह एक गैर-निर्वाचित व्यक्ति सत्ता का उपयोग कर रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि संबंधित परिवार का राजनीतिक प्रभाव गांव में हावी है, जिसका लाभ उठाकर नियम-कायदों को दरकिनार किया जा रहा है। शिकायत करने पर दबाव बनाने, अनदेखी करने या काम अटकाने जैसे आरोप भी ग्रामीणों ने लगाए हैं। इससे आमजन में भय और असंतोष का माहौल बनता जा रहा है।
महिलाओं और बुजुर्गों ने भी चिंता जताई है कि महिला आरक्षण का उद्देश्य—महिलाओं को निर्णय प्रक्रिया में सशक्त बनाना—ऐसे मामलों में केवल औपचारिकता बनकर रह जाता है। यदि निर्णय कोई और ले रहा हो, तो यह आरक्षण की भावना के साथ अन्याय है।
ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और वे चाहते हैं कि प्रशासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करे। उनका कहना है कि ग्रामसभा को सर्वोच्च मानते हुए सभी निर्णय पारदर्शी ढंग से हों और किसी भी गैर-निर्वाचित व्यक्ति का हस्तक्षेप रोका जाए।
अब देखना यह है कि प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं और गांव में लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं। ग्रामीणों की मांग है कि पंचायत की कार्यप्रणाली पर निगरानी बढ़े और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि गांव में विश्वास और न्याय बहाल हो।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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