हाथ में बेटे का शव लेकर पिता ने तय किया 55 किमी का सफर, एंबुलेंस नहीं मिली तो बाइक से ले गए पीएम कराने

राजधानी से जनता तक | कोरबा | जिले में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। सुदूर वनांचल गांव में मां के साथ नहाने गए डेढ़ वर्षीय बालक की गहरे पानी में डूबने से मौत हो गई। उसके शव को मुर्दाघर के अभाव में घर पर रख परिजन पूरी रात निगरानी करते रहे। अपने कलेजे के टुकड़े को हमेशा के लिए खो चुके पिता पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा जब शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के लिए सरकारी चार पहिया वाहन तक नसीब नहीं हुआ। वह बड़े भाई के साथ मासूम की लाश को करीब 55 किलोमीटर दूर बाइक से लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचा। तब कहीं जाकर पीएम की कार्रवाई पूरी हो सकी।मामला बीहड़ वनांचल क्षेत्र में स्थित लेमरू थाना के ग्राम अरसेना का है। गांव में दरसराम यादव अपने परिवार संग रहता है। दरसराम मजदूरी कर पत्नी उकासो बाई और तीन बच्चों का पालन पोषण करता है। दोपहर करीब तीन बजे उकासो बाई अपने डेढ़ वर्षीय पुत्र अश्वनी कुमार को लेकर गांव के समीप स्थित ढोढ़ी नुमा तालाब में नहाने गई थी। विवाहिता नहाने में मशगुल थी। इसी बीच खेलते-खेलते मासूम गहरे पानी में डूब गया। इसकी भनक विवाहिता को तब लगी जब वह नहाने के बाद घर जाने तैयार हुई। उसने आसपास खोजबीन करने के बाद घटना की जानकारी परिजनों को दी। परिजनों ने करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद शव को तालाब से खोज निकाला। घटना की जानकारी देर शाम लेमरू पुलिस को दी गई। साथ ही मुर्दाघर के अभाव में शव को घर पर ही रखा। परिजन पूरी रात मासूम के लाश की डबडबाई आंखों से निगरानी करते रहे। अपने कलेजे के टुकड़े को खोने के गम में डूबे पिता की मुसीबत यहीं कम नहीं हुई। उस पर दुखों का पहाड़ तब गिर गया जब पुलिस ने सोमवार की सुबह वैधानिककार्रवाई करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने की बात कही। इसके लिए न तो स्वास्थ्य विभाग से एंबुलेंस की सुविधा मिली और नही पुलिस विभाग का वाहन उपलब्ध हो सका। परिजनों की माने तो थाने में चार पहिया वाहन खड़ी थी, लेकिन मासूम के शव को ले जाने बड़े वाहन को भेजने में असमर्थता जता दी गई। मासूम के शव को बाइक में ले जाने की सलाह दी गई। जिससे लाचार पिता बेटे की लाश को बड़े भाई के साथ 55 किलोमीटर का सफर बाइक में तय कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचा। तब कहीं जाकर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की जा सकी। इस मामले को लेकर जब हमने जिले के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.एन. केशरी से बात की तब उन्होंने बताया कि मासूम के परिजनों ने मुक्तांजलि वाहन की मांग नहीं की। इसकी सुविधा जिले में हमेशा मौजूद रहती है। जिले में चार मुक्तांजली वाहन उपलब्ध हैं। मामले की जांच की जाएगी।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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