राजधानी से जनता तक | रायपुर | मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की आजादी और संविधान प्रदत्त अधिकार सबके लिए हैं
दिलों को जोड़ती न्याय योजनाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी न्याय योजनाओं का प्रत्यक्ष असर हो रहा है। हमारी न्याय योजनाएं प्यार की गंगा बहा रही हैं और दिलों को जोड़ रही हैं। किसान, ग्रामीण, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग, महिला, युवा, बच्चे आदि सभी का जीवन सरल बनाने, इनकी जरूरतों को पूरा करते हुए तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने के लिए हमने बड़े-बड़े निर्णय लिए हैं।
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धान की खरीदी, अब प्रति एकड़ 20 क्विंटल
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने किसानों से किया हुआ वादा कैसे निभाया, यह बात सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश और देश जानता है। सरकार बनते ही सबसे पहले लगभग 9 हजार करोड़ रुपए का अल्पकालिक कृषि ऋण माफ किया। 2500 रुपए प्रति क्विंटल में धान खरीदा। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की मात्रा लगभग 56 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 107 लाख मीटरिक टन किया। यह कुशल प्रबंधन और हमारी सरकार के प्रति बढ़े विश्वास के कारण हुआ। धान बेचने वाले किसानों की संख्या 12 लाख 60 हजार से बढ़कर करीब 25 लाख हो गई। धान खरीदी केन्द्रों की संख्या 1 हजार 989 से बढ़ाकर 2 हजार 617 किया। हम अपने वादे पर अडिग हैं कि आगामी खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़ के किसान भाई-बहनों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। किसानों को ब्याजमुक्त ऋण देने के लिए प्राथमिक कृषि साख समिति की संख्या 1 हजार 333 से बढ़ाकर 2 हजार 58 किया। कृषि ऋण की राशि 3 हजार 546 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7 हजार करोड़ रुपए की गई। किसानों की बकाया सिंचाई कर की 342 करोड़ रुपए की राशि माफ की गई।
किसानों को 20 हजार करोड़ की इनपुट सब्सिडी
‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के माध्यम से धान के साथ ही अन्य खाद्यान्न, मिलेट, उद्यानिकी, वृक्षारोपण आदि के लिए नगद राशि दी गई, जिससे किसानों के खाते में 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि डाली गई। गन्ना प्रोत्साहन राशि के रूप में 208 करोड़ रुपए दिए गए। हमारी सरकार द्वारा समर्थन मूल्य घोषित करते हुए कोदो, कुटकी और रागी की खरीदी की जा रही है।
समर्थन मूल्य पर पहली बार मिलेट की खरीदी
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहली बार लगभग 94 हजार क्विंटल मिलेट फसलों का उपार्जन हमने किया है। समर्थन मूल्य पर दलहन खरीदी का वादा भी पूरा किया गया है, जिससे प्रदेश में दलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। हमारी सरकार ने नई तरह की खेती और फसलों को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। लाख पालन और मछली पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है। ‘छत्तीसगढ़ टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन करते हुए जशपुर जिले में 102 एकड़ में चाय और बस्तर जिले में 80 एकड़ में कॉफी का रोपण किया गया है। पोषणबाड़ी योजना के तहत 4 लाख बाड़ियां विकसित की गई हैं। छुईखदान में ‘पान अनुसंधान केन्द्र’ की स्थापना की गई है।
किसानों के लिए बढ़ती सुविधाएं
किसानों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए 587 कृषक सदन तथा किसान कुटीर, धमधा में फल-सब्जी मंडी, जगदलपुर, कांकेर तथा धमतरी में सामुदायिक बीज बैंक, कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय फाईटोसेनेटरी प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। खेतों में ज्ञान की फसल रोपने के लिए 6 नवीन कृषि महाविद्यालय, 11 उद्यानिकी महाविद्यालय, एक वानिकी महाविद्यालय एवं एक खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, इस प्रकार कुल 19 नवीन महाविद्यालयों और महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
सिंचाई सुविधाओं का विस्तार
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने वादा निभाते हुए जल संसाधन विकास नीति 2022 लागू की। बेहतर सिंचाई प्रबंधन के कारण वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2022-23 में 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर में अतिरिक्त खरीफ सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई। विगत 4 वर्षों में सिंचाई परियोजनाओं के 1 हजार 36 कार्य स्वीकृत हुए हैं, जिसके लिए 4 हजार 451 करोड़ रुपए से अधिक राशि स्वीकृत की गई। 2 लाख 36 हजार 338 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई क्षमता का विस्तार सुनिश्चित किया गया। नदियों के संरक्षण और संवर्धन का वादा निभाते हुए ‘अरपा बेसिन विकास प्राधिकरण’ तथा ‘इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण’ का गठन किया है। बांध पुनर्वास एवं सुधार योजना पर कार्य शुरू किया है। भूमिहीन कृषि मजदूरों को 590 करोड़ रूपए की मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने भूमिहीन कृषि मजदूरों से किया हुआ वादा निभाते हुए ‘राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ शुरू की। इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत एवं नगर पंचायत में निवासरत भूमिहीन खेतिहर मजदूर, चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी, पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक, अनुसूचित क्षेत्रों के बैगा, गुनिया, मांझी, पुजारी, हाट पहरिया एवं बाजा मुहारिया आदि को प्रति वर्ष 7 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। अभी तक 590 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।
‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ के अंतर्गत हम लक्ष्य और लेबर बजट से अधिक काम करते आए हैं। इस वर्ष भी हमने 1 हजार 200 लाख मानव दिवस के लेबर बजट के विरुद्ध 110 प्रतिशत अधिक अर्थात 1 हजार 335 लाख मानव दिवस रोजगार सृजित किया है।
32 लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, बीसी सखी, समुदाय आधारित संवहनीय कृषि योजना जैसे उपायों के माध्यम से 32 लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है। वहीं गौठान, जैविक खेती तथा डीडीयू-जीकेवाय योजनाओं से भी 2 लाख से अधिक महिलाओं को नए तरह के रोजगार के अवसरों से जोड़ा गया है।
‘आवास न्याय योजना’ प्रारंभ
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के गांवों में कोई भी परिवार बेघर न रहे, इसके लिए हमने बहुत बड़ी सोच और न्याय की विराट भावना से काम लिया है। एक ओर जहां ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत प्रदेश में 8 लाख 63 हजार 445 आवासों का निर्माण पूर्ण किया गया है तथा शेष 2 लाख 12 हजार 701 आवासों के निर्माण हेतु हमने राज्य के नए बजट में 3 हजार 228 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। वहीं दूसरी ओर हमने वर्ष 2011 की जनगणना के बाद पात्र हुए परिवारों की भी चिंता की है। भारत सरकार द्वारा हमारे अनुरोध को नहीं माना गया, तो हमने राज्य स्तर पर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराते हुए प्रदेश की अपनी योजना लागू करने का वादा किया था। मुझे खुशी है कि यह वादा पूरा करते हुए हमने ‘आवास न्याय योजना’ प्रारंभ कर इसके लिए प्रथम बजट प्रावधान भी कर दिया है। यह योजना भी हमारी सरकार की न्याय यात्रा का बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी।
पंजीकृत श्रमिकों को मिल रही विभिन्न सुविधाएं
श्रमिकों को बेहतर जीवन उपलब्ध कराने के लिए हमने अनेक क्रांतिकारी उपाय किए हैं। कारखाना अधिनियम के अंतर्गत सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष की गई। छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मंडल, छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल तथा छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के अंतर्गत 38 लाख 32 हजार श्रमिकों का पंजीयन किया गया है। पंजीकृत श्रमिकों को बीमा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, शिक्षा, कौशल उन्नयन, पारिवारिक जरूरतों आदि से संबंधित योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।
लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करते हुए निचले स्तर पर विकास में तेजी लाने हेतु हमने त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं तथा नगरीय निकायों के निर्वाचित पदाधिकारियों का मानदेय, सुविधाएं तथा वित्तीय अधिकार बढ़ाया है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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