लोकल ठेकेदार के सामने नतमस्तक है के एस के महानदी पावर कम्पनी प्रबन्धन
दुर्घटना में मृत्यु उपरांत तय 10 लाख रुपये वित्तीय सहायता दिलाने में हाथ पैर फूले
अकलतरा। अकलतरा तहसील के नरियरा में स्थापित के एस के महानदी पावर कम्पनी लिमिटेड में हर्ष कंस्ट्रक्शन के अधीनस्थ कार्यरत ठेका श्रमिक विशाल राठौर की 24 जुलाई को संदेहास्पद तरीके से मौत हो गयी है, जिसके बाद उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि हर्ष कंस्ट्रक्शन और कारखाना प्रबन्धन के किसी भी व्यक्ति द्वारा हमें कोई सहायता नही दी गयी है, उल्टे दलालों और बिचौलियों के माध्यम से हमें गुमराह किया जा रहा है, स्वर्गीय विशाल राठौर के चचेरे भाई प्रदीप राठौर ने यह जानकारी दी है कि हमारे साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार से हम लोग क्षुब्ध होकर
एचएमएस से सहयोग की मांग किये है, जिसके बाद संघ के पदाधिकारियों ने हमारे परिवार को कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से मिलवाकर नियमानुसार कार्यवाही कराने की मांग 16 अगस्त को किया है।
श्रम विभाग की कमजोरी और मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है
आपको बता दे कारखाना में प्रबन्धन की मिलीभगत से ठेकेदार मनमानी करने में उतारू है, यहां मजदूरों का भरपूर शोषण हो रहा है, कई लोकल ठेकेदार यहाँ ठेकेदारी कर रहे है, और उसी के आड़ में नेतागिरी भी कर रहे है, यदि प्रबन्धन ईमानदार रहता तो कारखाना में नियम कानून और अनुशासन का पालन अवश्य होता।
श्रम विभाग खानापूर्ति केंद्र बन कर रहा गया
यहाँ की स्थितियों को देख कर ऐसा लगता है कि श्रम विभाग का भी डर के एस के महानदी प्रबन्धन को नही रहा है, मजदूरों से बात करने पर इतनी अनियमितता सामने आ रही है, जिससे प्रतीत होता है कि श्रम विभाग भी अपनी जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निर्वहन नही कर पा रहा है, आज मजदूर वेतन वृद्धि, वेतन भुगतान, छटनी मुआवजा जैसे लाभों से वंचित हो रहे है, उनको समय मे वेतन तक दिला पाने में श्रम विभाग असक्षम है, जबकि वेतन भुगतान अधिनियम के अनुसार हर महीने के 10 तारीख के अंदर श्रमिको को भुगतान कर दिया जाना चाहिए, पर यहां के एस के महानदी प्रबन्धन को नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाने का छूट है।
तथाकथित श्रमिक संघ के माध्यम से श्रमिको को खून चूस रहा है प्रबन्धन
के एस के महानदी पावर कम्पनी प्रबन्धन और कुछ तथाकथित श्रमिक संघ जो कारखाना के इशारे में कार्य करते है उनको भरपूर वित्तीय लाभ पहुंचाया जा रहा है, उनको ठेके से लेकर उनके वाहनों को कारखाना में चलवा कर वित्तीय लाभ पहुंचाया जा रहा है, उन्हें ही शट डाउन का काम दिया जा रहा है, यहां तक कि श्रमिको की मृत्यु तक हो जाने पर भी ये लोग पैसों के आगे अपना जमीर बेचना मुनासिब समझते है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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