भांजा विक्रांत संभालेंगे राजनीतिक विरासत ? डॉ. रमन और अभिषेक सिंह नहीं लड़ेंगे चुनाव ! ताकि कांग्रेस परिवारवाद का आरोप न लगा सके!

भांजा विक्रांत संभालेंगे राजनीतिक विरासत ? डॉ. रमन और अभिषेक सिंह नहीं लड़ेंगे चुनाव ! ताकि कांग्रेस परिवारवाद का आरोप न लगा सके!

Deendayal yadu

रायपुर। भाजपा ने विधानसभा आम चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में 21 प्रत्याशियों के नामों की सूची जारी कर दी। इसमें खैरागढ़ विधानसभा से विक्रांत सिंह का नाम शामिल है। विक्रांत सिंह पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के सगे भांजे हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोल दिया है।

सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति में परिवारवाद को खत्म करने की बात करते हैं, दूसरी उनकी ही पार्टी में परिवारवाद हावी है। टिकट वितरण देखकर श्री बघेल ने संकेत दिया है कि अब छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह और उनके पुत्र अभिषेक सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे। भाजपा उन्हे किनारे कर रही है!

बता दें कि यदि खैरागढ़ से विक्रांत सिंह को टिकट दिए जाने के बाद भाजपा ने रमन या उनके पुत्र अभिषेक सिंह को टिकट दिया तो भाजपा कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप नहीं लगा पाएगी। वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस भी भाजपा को आड़े हाथों लेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव से मौजूदा विधायक है। पिछले चुनाव में करूणा शुक्ला से उन्हे कड़ी टक्कर मिली थी। वहीं रमन सिंह कवर्धा के मतदाता है। राजनांदगांव से चुनाव लड़ते हैं। इसे लेकर दबी जुबान में उन बाहरी होने का भी आरोप लगता रहा है। मुख्यमंत्री होते हुए भी रमन सिंह ने अपने निर्वाचन जिला राजनांदगांव और गृह जिला कवर्धा से भाजपा को एक सीट तक नहीं दिला सके थे। दोनों जिले मेें वे ही एकमात्र विधायक है।

एक राय यह भी बनी हुई है कि पूर्व सांसद व जनप्रिय नेता मधुसूदन यादव की जगह तब के सीएम रहे रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह को सांसद के लिए टिकट दिया गया था। अभिषेक सिंह भारी मतों से विजयी भी हुए लेकिन संसदीय क्षेत्र में उन पर निष्क्रियता और जनता व कार्यकर्ताओं से नियमित संवाद न करने का आरोप लगता रहा है। वहीं कांग्रेस की सत्ता में अभिषेक सिंह जनहित के एक भी मुद्दों में मुखर नहीं हो पाए।

इधर ऐसा माना जाता रहा है कि विका्रंत सिंह मुख्यमंत्री के भांजे होने की वजह से विधायक टिकट से वंचित होते रहे हैं। जबकि वे लगातार सक्रिय रहे। सीढ़ी दर सीढ़ी राजनीतिक पायदान चढ़ते रहे। उनकी सक्रियता लगातार बनी रही। लिहाजा 2023 विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिल ही गई।

सत्ता कांग्रेस की होने के बावजूद भी विक्रांत सिंह का पलड़ा फिलहाल भारी नजर आ रहा है। उनके मुकाबले कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी ढूंढने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कही न कही डॉ. रमन सिंह के परिवार और खैरागढ़ में विक्रांत सिंह के रूप में नए राजनीतिक युग की शुरूआत का स्पष्ट संकेत मिल रहा है।

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