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अव्यवस्थाओं के बीच संचालित हो रहा है ग्राम पंचायत तिलगी में सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल संचालक समिति की घोर लापरवाही का दंस झेल रहे हैं स्कूल मे अध्यनरत बच्चे

राजधानी से जनता तक | रायगढ़ / जर्जर भवनों में लग रहे कई निजी स्कूल ये कैसा स्कूल, ना शौचालय की व्यवस्था, ना ही पीने का पानी, ऐसे माहौल में कैसे बनेगा देश का भविष्य

वर्तमान में जिस तरह शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं है। हालात यह है कि रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लाक के कस्बो व ग्रामों में हर गली और मोहल्ले में इस तरह स्कूल संचालित होने लगे हैं की स्कूल के भवन को देखकर यह प्रतीत होता है जैसे की कोई दुकान या जर्जर मकान हो, लेकिन जब भवन पर लगा बोर्ड देखते है तो वह स्कूल है जिसमें शिक्षा की जगह व्यापार जैसा काम चल रहा है।

यह मामला है जनपद पंचायत पुसौर ब्लॉक के ग्राम पंचायत तिलगी मे संचालित सरस्वती शिशु मंदिर का है यह स्कूल 2010 से इस बिल्डिंग में संचालित है इस स्कूल में के. जी. से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं संचालित होती है इस स्कूल में कुल 43 छात्र छात्राएं हैं जिसमें छात्र की संख्या 18 है और छात्राओं की संख्या 25 है इस स्कूल में कुल 4 शिक्षक शिक्षिकाएं हैं जिसमें 3 शिक्षक है और 1 शिक्षिका है यह प्राइवेट स्कूल होने के बाद भी यहां बच्चों के लिए यहां कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है यह स्कूल सिर्फ नाम का प्राइवेट स्कूल बन गया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है ग्रामीण क्षेत्र में स्कूली शिक्षा का काफी बुरा हाल है कई बच्चे जर्जर स्कूल में अपना भविष्य करने को मजबूर है यहां एक ही छत के नीचे के. जी. 1 से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं संचालित हो रही है स्कूल की स्थिति जर्जर हो गई है इस स्कूल में ना तो पीने के लिए पानी की व्यवस्था है स्कूल परिसर में लगा बोरिंग कई महीनो से खराब पड़ा हुआ बच्चों के पीने के लिए पानी रोड के उस पार से भरकर लाया जाता है यह स्कूल में बालक बालिकाओं के लिए पेशाब घर बनाया गया है जिसमें दरवाजा तक नहीं है प्रधानमंत्री के द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है लेकिन विडंबना यह है कि इस सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में आज तक शौचालय नहीं है इस स्कूल के छात्र-छात्राओं को खुले में पेशाब व शौचालय के लिए जाना पड़ता है यह स्कूल में सभी बच्चे फर्श में बैठकर पढ़ाई करते है यहां छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए आज तक टेबल कुर्सी की व्यवस्था नहीं है मजबूरन टूटे-फूटे फर्श में दरी बिछाकर बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है यह स्कूल में ना तो बाउंड्री वॉल है और ना ही कोई खेल मैदान है. यह सब व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संचालन समिति के अध्यक्ष उपाध्यक्ष व सदस्यों की है अध्यक्ष का कहना है कि जिस प्रकार स्कूल चल रहा है उसे उसी प्रकार स्कूल को चलने दीजिए आप लोगों को क्या समस्या है यह स्कूल संचालन समिति की घोर लापरवाही का दंस वहां अध्यनरत छात्राएं झेल रही हैं.शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी ही वजह है जो निजी स्कूलों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। ब्लॉक के चुनींदा स्कूलों को छोड दें तो 50 प्रतिशत से अधिक स्कूल शासन के तय मापदंडानुसार अपात्र होंगे। क्योंकि यह मूलभूत सुविधाओं से कोसो दूर हैं। फिर भी यह संचालित हो रहे हैं इन पर अंकुश नहीं लग रहा है। सवाल यह खडा होता है कि जब यह तय मापदंडो पर खरे नहीं उतरते है तो फिर इनकी मान्यता रद्द होना चाहिये।

भवन के अलावा भी कई तरह की कमियों के साथ संचालित हो रहे है निजी स्कूल

भवन की कमी को यदि छोड़ भी दे तो नियमानुसार छात्र संख्या के अनुपात में इन स्कूलों में पात्र शिक्षक नहीं है। क्योंकि 30 से 40 छात्रों पर एक शिक्षक और भवन में एक कमरा होना चाहिए, अधिकांश स्कूलों में खेल का मैदान है ही नहीं। शिक्षा बीएड, डीएड होना चाहिए और इनके खातों में मासिक वेतन जाना चाहिए। जिससे यह स्पष्ट हो सके उसका वेतन कितना है लेकिन पढाने वाला दूसरा होता है और कम भुगतान दिया जाता है इसलिए वेतन नकद दे दी जाती है। जो वेतन खातों में जाता है उस भुगतान का बीआरसी और बीएसी को भी जानकारी होनी चाहिए। उनमें मूलभूत सुविधा नहीं है। जैसे पेयजल, टॉयलेट, बालक-बालिका पृथक-पृथक होना चाहिए, अग्निशमक यंत्र नहंी है, फाईलो में रशीद लग जाती है। अब जब न भवन न शिक्षक और छात्र संख्या अनुसार न खेल मैदान तो फिर बीएसी और बीआरसी क्या निरीक्षण करते हैं और कैसे नवीनीकरण कारण के साथ नई मान्यता दे देते हैं?जब हमने स्कूल के प्रधान पाठक हरिशंकर बरेट से जानकारी ली तो उनका कहना है कि मैंने कई बार संचालन समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष वह समिति के सदस्यों को कई बार संज्ञान में दिया गया है लेकिन आश्वासन के बाद आज तक स्थिति जस के तस बनी हुई है.जब हमने स्कूल संचालन समिति के अध्यक्ष से लखन लाल पटेल जी से बात की तो लखनलाल पटेल का कहना है कि स्कूल ले देकर चल रहा है और शौचालय व पेशाब घर में दरवाजा नहीं भी है तो क्या होने वाला है आप लोग बाल की खाल निकल रहे हैं जैसा चल रहा है वैसे चलने दीजिए इतना कह कर लखन लाल पटेल जी ने अपना पल्ला झाड़ लिया. जब हमने खंड शिक्षा अधिकारी दिनेश पटेल से दूरभाष के माध्यम से जानकारी लेनी चाहि तो खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि मुझे इस विषय में कोई जानकारी नहीं है मैं आपके माध्यम से इस समस्या से अवगत हो रहा हूं मैं इस सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल तिलगी की जांच करता हूं व जांच पश्चात संचालन समिति के ऊपर विधिवत कार्यवाही की जाएगी | 

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

छत्तीसगढ़ में लोकप्रिय होता हुआ राजधानी से जनता तक दैनिक अखबार के साथ न्यूज पोर्टल, यूटयूब चैनल,जो दिन की छोटी बड़ी खबरों को जनमानस के बिच पहुंचाती है और सेवा के लिए तत्पर रहती है dainikrajdhanisejantatak@gmail.com

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