108 व 102 की ठेका कंपनी बदलने के बाद कंपनी की मनमानी से त्रस्त कर्मचारी
कर्मचारियों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
- गंगाराम पटेल
गंडई/ खैरागढ़ । स्वास्थ्य विभाग में 108 व 102 की ठेका कंपनी बदलने के बाद कंपनी की मनमानी से त्रस्त कर्मचारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर कंपनी द्वारा जारी किये गये भर्ती विज्ञापन को निरस्त कर अनुभवी कर्मचारियों को उनके वर्तमान कार्य स्थल पर पुन: पदस्थापना दिये जाने की मांग की है. छग संजीवनी 108/102 कर्मचारी कल्याण संघ के बैनर तले सौंपे ज्ञापन में कर्मचारियों ने बताया कि एंबुलेंस कर्मचारी पिछले 5 वर्षों से अपनी मांगों और समस्याओं को लेकर संघर्षरत है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बने साढ़े चार वर्ष हो चुका है लेकिन जीवीके इएमआरआई कंपनी में 6-7 वर्ष से कार्यरत अनुभवी 108 संजीवनी एक्सप्रेस और 102 महतारी एक्सप्रेस के लगभग 150 कर्मचारियों की नियुक्ति आज तक नहीं हो पायी है जिससे इन कर्मचारियों को बेरोजगारी के कारण आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कर्मचारियों के प्रति सरकार की उदासीनता और स्वास्थ्य विभाग तथा ठेका कपनियों की लापरवाही के कारण वर्तमान में कर्मचारियों के समक्ष नई समस्या खड़ी हो गई है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा 102 महतारी एम्बुलेंस संचालन की जिम्मेदारी नई ठेका कंपनी केम्प को दे दिया गया है. उक्त ठेका कंपनी द्वारा 102 महतारी एंबुलेंस सेवा के संचालन के लिये कर्मचारियों की भर्ती करने विज्ञापन जारी किया गया है जिसमें 10 वर्ष अनुभवी पुराने कमचारियों को काम पर रखने और कितने पदों की संख्या है उसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है. 7 सितंबर से केम्प ठेका कंपनी द्वारा बस्तर संभाग के लोगों को रायपुर में बुलाया गया था जहां भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने पहुंचे लोगों को बताया गया कि प्रत्येक कर्मचारी से 50 हजार लिया जायेगा और तीन माह की परीक्षा अवधि पर रखा जायेगा. कार्य संतोषजनक नहीं होने पर निकाल दिया जायेगा और पैसे भी वापस नहीं किये जायेंगे. परेशान कर्मचारियों ने यह भी बताया कि ईएसटी पद के लिये शिक्षिक योग्यता बीएससी नर्सिंग माना गया है जो वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों के पास नहीं है. पूर्व सेवा प्रदाता जीवीके ईएमआरआई भारत के अधिकांश राज्यों में आपातकालीन एबुलेंस सेवा प्रदान करने वाली है जिसकी सेवा शर्तें और मानक उच्च है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने विपक्ष में रहते हुये 2018 के आंदोलन में वादा किया था कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने पर 108 संजीवनी एक्सप्रेस एवं 102 महतारी एंबुलेंस सेवा को ठेका प्रथा से मुक्त किया जायेगा लेकिन छतीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी महत्वपूर्ण जीवन रक्षक सेवाओं को ठेका पर दे दिया गया है. ठेका कंपनियों की मनमानी के कारण पूरे कर्मचारियों की सेवा में बहाली सहित कार्यरत कर्मचारियों को छग शासन द्वारा जारी न्यूनतम मजदूरी भत्ता एवं अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
108 व 102 के कर्मचारियों ने चार सूत्रीय मांग भी रखी है जिसमें 102 महतारी एंबुलेंस सेवा संचालन की जिम्मेदारी मिलने वाली नई ठेका कंपनी केम्प द्वारा जारी विज्ञापन वाली भर्ती प्रक्रिया को निरस्त करें. 102 महतारी एबुलेंस सेवा में कार्यरत सभी कर्मचारियों को यथास्थान उनके कार्य स्थल पर नियुक्ति दे और 2018 से बचे हुये पूर्व अनुभवी कर्मचारियों को प्राथमिकता के साथ बहाल करें. 108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा का संचालन नई ठेका कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस को 2018 में मिलने के बाद ही 108 एबुलेंस सेवा की गुणवत्ता पहले जैसे नहीं रह गई, इस ठेका कंपनी ने पूर्व कार्यरत लगभग 350 अनुभवी कर्मचारियों को कार्य पर नहीं रखा. पैसे लेकर अप्रशिक्षित कर्मचारियों की उक्त सेवा में नियुक्ति की गई. एबुलेंस में जीवन रक्षक आवश्यक उपकरण एवं दवाइयों की उपलब्धता नहीं रहती. 108 संजीवनी एबुलेंस की सर्विस कंपनी द्वारा तय किलोमीटर पर न होकर 20-25 हजार किलोमीटर चलने पर हो रही है जिससे गाडिय़ा समय पूर्व जर्जर हो रही है एवं दुर्घटनाओं का भी अंदेशा बना रहता है. कर्मचारियों से 12-15 घंटे कार्य कराया जा रहा है और कोई अतिरिक्त ओवरटाइम भी नहीं दिया जा रहा है. कर्मचारियों के वेतन से मनमानी तौर पर राशि काट दी जाती है. विरोध करने पर कर्मचारियों को उनके गृह जिले से अन्यत्र दूरस्थ जिले में स्थानांतरण कर दिया जाता है. 108 संजीवनी एक्सप्रेस एवं 102 महतारी एक्सप्रेस सेवा को ठेका प्रथा से हटाकर हरियाणा राज् य की तरह छत्तीसगढ़ की संवेदनशील सरकार इन जीवन रक्षक महत्वपूर्ण सेवाओं का संचालन स्वयं करें. 12 मार्च 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी शासकीय विभागों में ठेका प्रथा को हटाकर शासन के अधीन करने की घोषणा की हैं.
