राजधानी से जनता तक । कोरबा । सरकारी योजनाओं का क्रियान्यवन कराने के अलावा और भी क्षेत्र में सरकार ध्यान दे रही है। इसके माध्यम से संस्कृति और परंपरा को मजबूत करने का प्रयास जारी है। गौशाला का विषय इसी से जुड़ा हुआ है। यह बात अलग है कि सरकारी अनुदान प्राप्त होने के बावजूद कोरबा जिले में संचालित हो रही गौशालाएं चुनौतीपूर्ण स्थिति में है। दरअसल गायों के संरक्षण पर हर महीने होने वाला खर्च अनुदान की तुलना में बहुत ज्यादा है।जिले में कनबेरी, कुदूरमाल, भवानी मंदिर, चिर्रा और केंदई में गौशालाएं संचालित हो रही है। सामाजिक संगठन ने इनकी जिम्मेदारी ली है। इनका अधिकतम कामकाज उन लोगों के सहयोग पर टिका हुआ है जो गायों को सम्मान देने के साथ उनके योगदान को समझते है।
जानकारी के अनुसार सरकार के द्वारा गौशलाओं को 10 से 20 लाख रूपये का अनुदान उनकी स्थिति और संचालन के तौर-तरीके व स्तर के आधार पर दिया जाता है। छत्तीसगढ़ में गौ-सेवा आयोग को इस दिशा में काम करने के अधिकार दिये गये है। गौ-सेवा संचालन से जुड़े हुए लोग बताते है कि गायों को हर हाल में अच्छा रखने के लिए हर महीने गौशाला पर अधिकतम 5 लाख का खर्च होता है। इसमें चारा, कुट्टी के साथ-साथ चिकित्सा और केयरटेकर के खर्च शामिल है। संस्थाओं ने इस प्रकार के खर्च निकालने के लिए दानदाताओं का सहारा लिया है जो सामाजिक और धार्मिक कारणों से गौशालाओं के लिए उदारता दिखाते है। बताया जाता है कि अनुदान से चार गुना ज्यादा खर्च होने के कारण दिक्कतें हो रही है। इसके लिए जरूरत जताई जा रही है कि लोग खुद होकर गौशालाओं को सक्षम बनाये।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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