बाल विवाह पर पूर्णत: लगाम लगाने जिला प्रशासन की कवायद
कोरबा । इस बार सीमित लग्न होने की वजह से एक ही समय में विवाह आयोजनों की भरमार देखी जा रही है। आयोजनों के भरमार के बीच कई बार नाबालिगों की शादी करा दी जाती है। इसे रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने नई कवायद शुरू की है। जिसके अनुसार विवाह आयोजन को पूरा कराने के काम करने वाले टेंट संचालक, रसोईया, डीजे, बैंड, बारातघर आदि संचालकों को दुल्हा -दुल्हन के आयु प्रमाण पत्र देखने के बाद बुकिंग के लिए अनुमति देनी होगी। बिना आयु प्रमाण पत्र पड़ताल किए बुकिंग किए जाने से नाबालिगों के विवाह में सहयोगी माना जाएगा और संवैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
अक्षय तृतीया को वैवाहिक आयोजन के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार यह तिथि 10 मई को पड़ रही है। इस अवसर या इससे पहले होने वाली शादियों पर जिला प्रशासन ,महिला एवं बाल विकास विभाग की नजर है । इस दिन बाल विवाह जैसे सामाजिक कुप्रथा एवं कानूनन अपराध पर कड़ाई से रोक लगाने जिला प्रशासन ,महिला एवं बाल विकास विभाग ने वैवाहिक अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले धार्मिक सेवा प्रदाता टेंट हाउस, कैटरिंग ,डीजे बैंड बाजा संचालकों को आगाह किया है कि, बिना आयु प्रमाण पत्र का परीक्षण किए वैवाहिक कार्यक्रम में सेवाएं प्रदान न करें। इसकी अनदेखी कर संबंधितों को बाल विवाह में सहभागी मानते हुए नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
जिला प्रशासन के उक्त निर्देश के बाद वैवाहिक कार्यक्रमों के सेवा प्रदाता इसका कड़ाई से पालन सुनिश्चित कर रहे। बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा के साथ ही साथ कानूनन अपराध है। 18 वर्ष के पूर्व लडकी तथा 21 वर्ष के पूर्व लड़के का विवाह करना बाल विवाह की श्रेणी में आता है।ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत से जनजाति व विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डों, बिरहोर, पहाड़ी कोरवा आदि निवास करते है। शिक्षा के अभाव में बाल विवाह के दुष्परिणाम यथा कुपोषण, कम वजन के शिशु पैदा होने, महिलाओं में एनीमिया से पीडि़त होने की संभावना होती है। बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण हेतु प्रत्येक ग्रामों में ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति गठित है। जिसके सरपंच अध्यक्ष तथा ग्राम सचिव (सदस्य सचिव), आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन व अन्य गणमान्य नागरिक, जन प्रतिनिधि आदि सदस्य है। उक्त समिति के सदस्यों व गणमान्य नागरिकों अक्षय तृतीया या अन्य अवसरों पर होने वाले बाल विवाह को प्रभावी तरीके से समय पर रोकथाम व बच्चों के देखरेख एवं संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सकता है।
साथ ही जिले में बाल विवाह कराए जाने की सूचना प्राप्त हो तो उसकी सूचना अविलंब पर्यवेक्षक, बाल विकास परियोजना अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, थाना प्रभारी चैकी प्रभारी, 112 आपातकालीन नम्बर अथवा चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 पर सूचना दी जा सकती है। गौरतलब हो जिले में एक माह के भीतर महिला एवं बाल विकास विभाग ,पुलिस एवं चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीम ने पोडी़ उपरोड़ा एवं चोटिया परियोजना में दो बाल विवाह रोकने में सफलता हासिल की है। बालिकाओं को बालिका वधु बनने से बचाया है। इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया कि वैवाहिक अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले धार्मिक सेवा प्रदाता टेंट हाउस, डीजे बैंड बाजा, संचालकों तथा जन प्रतिनिधियों से आग्रह कि, बिना आयु प्रमाण पत्र के वैवाहिक कार्यक्रम में सेवाएं प्रदान न करें। बाल विवाह पर प्रभावी रोक के लिए सभी अपना सहयोग प्रदान करें, जिससे जिले में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को समाप्त किया जा सके और जिले में बच्चों के देखरेख व संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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