जाहिद अंसारी

राजधानी से जनता तक. सूरजपुर/प्रतापपुर:– एक तरफ भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने की सरकार जहां पुरजोर कवायद कर रही है वही सूरजपुर जिले प्रतापपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में नियम विपरीत मानक विहीन पीडीएस भवन निर्माण कार्य करने का रिकॉर्ड तोड़ने में लगी हुई है वही ब्लॉक के जिम्मेदार कोई सटीक जवाब नहीं दे पा रहे हैं। सरकारी धन में बंदर बांट के जरिए जमकर चूना लगाया जा रहा है। किस योजना में किस संस्था द्वारा कितने धन से कार्य कराये जा रहे है ग्रामीणों को कोई जानकारी ही नहीं मिल पा रही है। ऐसे में कैसे हो पाएगा गुणवत्ता परक कार्य? जिसकी तरफ जिला प्रशासन और प्रदेश शासन को इस बात की गंभीरता पूर्वक जांच करने की आवश्यकता है।
मिली जानकारी के अनुसार जनपद पंचायत प्रतापपुर अंतर्गत छ ग्राम पंचायतों में बन रहे नवीन पीडीएस भवनों के कार्य तकनीकी सहायक की घोर लापरवाही के कारण गुणवत्ताविहीन कार्य हो रहे हैं जिससे ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों में आक्रोश है।
जिले के कलेक्टर रोहित व्यास ने ग्रामीणों को सुलभता से राशन उपलब्ध कराने ग्राम पंचायत बुढाडांड़, सिलफिली में मनरेगा के तहत नवीन पीडीएस भवनों के निर्माण की मंजूरी दी है। प्रत्येक भवन 12 लाख 62 हजार की लागत से बनाया जाना है। पीडीएस भवनों का निर्माण कार्य कराने के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाया गया है। इन भवनों का निर्माण कार्य पंचायतों को मनरेगा के तकनीकी सहायक के निर्देशानुसार करना है। पर बताया जा रहा है कि इन भवनों के निर्माण कार्य को कार्ययोजना के अनुरूप कराने के लिए नियुक्त तकनीकी सहायक कभी भी निर्माण स्थल पर नहीं पहुंचे। ऊपर से इन्होंने सरपंच सचिवों को भवनों के निर्माण से संबंधित तकनीकी जानकारी भी नहीं दी। जिसके कारण संबंधित पंचायतों के सरपंच सचिव अपने अधूरे ज्ञान के बलबुते इन पीडीएस भवनों का निर्माण कार्य करा रहे हैं। बताया जा रहा है कि भवनों की डोर बीम के बिना ही ढाल दी गई है। दरवाजे के ऊपरी हिस्से में भी बीम नहीं है। साथ ही निर्माण सामग्री का उपयोग भी तय मात्रा में नहीं किया जा रहा है। कुल मिलाकर इन भवनों का निर्माण कार्य कार्ययोजना के विपरीत किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से इन भवनों के निर्माण में अनियमितता बरती जा रही है उससे स्पष्ट है कि यह भवन ज्यादा समय तक नहीं टिक पाएंगे।
बता दें कि क्षेत्र की अधिकांश ग्राम पंचायतों के सरपंच व सचिवों को भवनों व अन्य तरह के निर्माण कार्य कराने से संबंधित तकनीकी ज्ञान नहीं है। जिसके कारण वे कार्ययोजना के अनुरूप निर्माण कार्य नहीं करा पाते हैं। इस समस्या के निवारण के लिए शासन ने मनरेगा के तहत पंचायत स्तर पर होने वाले निर्माण कार्यों को कार्ययोजना के अनुरूप कराने के लिए तकनीकी सहायकों की नियुक्ति कर रखी है। पर बड़े ही अफसोस का विषय है कि यह तकनीकी सहायक शासन व कलेक्टर के निर्देशों की अवहेलना करते हुए अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं।
मुख्यालय में नहीं रहते तकनीकी सहायक
जनपद पंचायत प्रतापपुर में कार्यरत तकनीकी सहायकों में से इक्का दुक्का ही मुख्यालय में निवास करते हैं। बाकी के तकनीकी सहायक अंबिकापुर से आना जाना करते हैं जबकि शासन ने इन तकनीकों सहायकों को मुख्यालय में ही निवास करने की सुविधा भी दे रखी है। तकनीकी सहायकों को निवास की सुविधा देने जनपद पंचायत कार्यालय के पास में ही एक बड़ा सा शासकीय भवन बना हुआ है जिसमें प्रत्येक तकनीकी सहायक के लिए अलग अलग कमरे बने हुए हैं। पर इस भवन में तकनीकी सहायक कभी रुकते ही नहीं वे तो अपने दूरदराज में स्थित घरों से ही आना जाना पसंद करते हैं। जिसके कारण यह भवन बेकार साबित हो रहा है। ऊपर से यह तकनीकी सहायक अपने कार्यालय में भी निर्धारित समय पर नहीं पहुंचते हैं और जब पहुंचते हैं तो बमुश्किल एक या दो घंटे तक कार्यालय में रहकर वापस अपने घर लौट जाते हैं। यहां तक की पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्यों का मूल्याकंन करने भी मौके पर नही पहुंचते। इसे भी कागजों में ही निपटाकर खानापूर्ति कर लेते हैं। (एस डी यो ,मनरेगा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध) प्रतापपुर जनपद पंचायत में 6 पी डी एस भवन बने है जिसका मूल्यांकन आर ई एस विभाग के एस डी यो के द्वारा किया जाता है जिसमे भवन के गड्ढे ,नीव, बीम और भी तकनीकी खामी को देखना होता है। जिसमे बिना डोर बीम के ही ढलाई हो गया है। और मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी जनपद सीईओ इसकी निगरानी करते हैं इसके बाद भी इतनी बड़ी लापरवाही की जा रही है। जिसमे अधिकारियों की भी मिलीभगत है।
इस विषय में एसडीएम ललित भगत ने कहा कि इस विषय में तत्काल जनपद सीईओ से वार्तालाप करती हू।
जनपद पंचायत सीईओ राधेश्याम मिरझा ने कहां की मामले का जांच हेतु निर्देशित करता हूं कार्य में लापरवाही बरतने पर आवश्यक कार्यवाही होगी।
