राजधानी से जनता तक । कोरबा । श्रम शक्ति की उपयोगिता को लेकर लगातार सरकार जोर देती रही है लेकिन इन सबसे अलग छत्तीसगढ़ में संचालित हो रहे रेशम कोसा विभाग (सेरीकल्चर) की जो स्थिति है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है। हालात ऐसे हैं कि कोरबा जिले में है इस विभाग का कामकाज गिनती के 70 कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है और प्रदेश में यह संख्या 1000 से भी कम है। रिक्त पदों पर भरती नहीं होने से कई प्रकार की आशंकाएं मजबूत हो रही है की कही यह विभाग बन्द ना हो जाये। गुणवत्तायुक्त कपड़ों को तैयार करने के मामले में रेशम कोसा अपनी विशेष भूमिका निभाते आ रहा है। छत्तीसगढ़ में अनेक स्थानों पर इस परियोजना को आगे बढ़ावा देने के लिए काम किए जा रहे हैं। यह सब गतिविधियां अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से संचालित हैं जो अब भी जारी हैं। जलवायु के हिसाब से रेशम कोसा का उत्पादन करना संभव होता है और इसी दृष्टिकोण से कोरबा सहित छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में इस उत्पाद के लिए काम किया जा रहा है। औद्योगिक पृष्ठभूमि वाले कोरबा जिले में भी रेशम कोसा उत्पादन पर कार्य चल रहे हैं और विभाग ने इसके लिए पांच विकासखंड में कोसाबाड़ी विकसित कर रखी है।
जिला मुख्यालय में नियमित कामकाज के साथ-साथ रेशम से धागाकरण करने वाली योजना पर प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई। इस काम में नए सिस्टम को जोड़ा गया है और अब उसके माध्यम से भी इस उद्यम में उत्साह दिखाने वाले लोगों को दक्ष करने की कोशिश की जा रही है। जानकारी के अनुसार कोरबा जिले में वर्तमान में सबसे कम संख्या वाला विभाग सेरीकल्चर हो गया है जहां पर कुल मिलाकर 70 का स्टाफ ही बचा हुआ है। जबकि बीते वर्षों में यह संख्या अच्छी खासी हुआ करती थी। सेवा अवधि के साथ जो कर्मचारी रिटायर हुए उसके बाद यहां का सेटअप ना तो परिवर्तित हुआ और ना ही इसके विरुद्ध नवीन वैकेंसी कॉल की गई और रिक्त पदों को भरा गया। मौजूदा स्थिति सीमित स्टाफ के साथ विभाग का कामकाज संचालित हो रहा है और इस वजह से कर्मचारियों को अतिरिक्त क्षमता लगानी पड़ रही है। जानकारी मिली है कि न केवल कोरबा जिला बल्कि छत्तीसगढ़ के संपूर्ण क्षेत्र में मिलाकर जहां कहीं इस विभाग का काम संचालित हो रहा है काम उनके कुल कर्मचारियों की संख्या वर्तमान में 1000 से भी काम हो गई है। इसलिए राज्य सरकार दूसरे विभागों की तुलना में रेशम कोसा विभाग को उसकी जिम्मेदारी के लिए जरूर से बहुत कम बजट उपलब्ध करा रहा है। इन सभी चीजों को एक तरफ छोड़ भी दिया जाए तो विभाग में लंबे समय से नई भर्ती नहीं किए जाने से अधिकारी और कर्मचारी न केवल परेशान है बल्कि वे इस बात को लेकर आशंकित है की कही राज्य सरकार की योजना अच्छे भले इस विभाग को बंद करने की तो नहीं है। धीरे-धीरे में अटकल को हवा भी मिल रही है। जबकि वर्तमान में विभाग के लिए काम कर रहे कर्मचारी सरकार से अपेक्षा रखते हैं कि इस विभाग को गंभीरता से लेने के साथ समस्याओं पर ध्यान दिया जाए और कर्मचारियों की चिंता भी दूर की जाए।
जमीन भी दूसरे की
जिला मुख्यालय कोरबा में सेरीकल्चर डिपार्टमेंट की जो कोसाबाड़ी मौजूद है वह जमीन भी उसकी नही है। वन विभाग से इसे लीज पर लिया गया है। खबर के मुताबिक बीते वर्षों में इसी स्थान पर प्रशासन की योजना सर्किट हाउस बनाने की थी लेकिन इसका महत्व तत्कालीन अधिकारियों को बताया गया तब संबंधित प्रस्ताव को किनारे कर दिया गया।कोसाबाड़ी से विभाग की गतिविधियों के कारण अब तक हजारों लोग प्रशिक्षण लेकर जीवन स्तर को बेहतर कर चुके हैं। रेशम कोसा विभाग के जिला और फील्ड कार्यालयों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। शेड की शक्ल में यहां पर व्यवस्था की गई है और इसी से लंबे समय से काम चलाया जा रहा है। गर्मी और बारिश के मौसम में इन कारणों से दिक्कतें होती है। बताया गया कि बीते महीनों में प्रशासन को जब इसकी सुधार के बारे में कहा गया तो निरीक्षण करने वाली एजेंसी ने यह कहकर मना कर दिया कि जो स्वरूप मौजूदा भवन का है उस पर सुधार संभव नहीं है बल्कि नवनिर्माण जरूरी है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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