सूरजपुर जिले में फिर एक बार झोला छाप डाक्टरों की सक्रियता बढ़ी
मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक. सुरजपुर/:– जिले में झोलाछाप डॉक्टर, छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज करते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई लोगों की मौत हो चुकी है. झोलाछाप डॉक्टर, ग्लूकोज़ की बोतलें लगाकर इलाज शुरू करते हैं और एक बोतल चढ़ाने के लिए 100 से 200 रुपये तक फ़ीस लेते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से ग्रामीण इलाकों में कई लोगों की जान खतरे में आ चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, ज़िले में 5 साल में झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक 15 गुना बढ़ गई हैं।
सैकड़ो झोला छाप डॉक्टर सक्रिय
जिले में शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में सैकड़ों से अधिक झोला छाप डॉक्टर फिर से सक्रिय है गर्मी बढ़ते ही इलाकों में मौसमी बीमारियों के बढ़ते ही ऐसे झोलाछापों की दुकानें खुल गई है। इंजेक्शन लगाने से लेकर बड़े-बड़़े बीमारियों का इलाज इन लोगों द्वारा बेरोकटोक किया जा रहा है। मिली जानकारी मुताबिक जिले के हर ब्लाक के लगभग हर गांव में एक से दो झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय है। जिन गांवों में कोई झोलाछाप नही है, यहां घर पहुंच सेवा दे रहे है। जिसके कारण लोगों को इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है।
हर गांव में हर तरह का करते है इलाज
मिली जानकारी मुताबिक हर गांव में ऐसे चिकित्सक सक्रिय होकर हर बीमारी का मिनटों में इलाज का दावा कर गंभीर से गंभीर बीमारियों की दवाई देने से लेकर इंजेक्शन, ग्लूकोज सहित आपरेशन जैसे इलाज भी कर रहे है। जिले के गांव सहित बड़े शहरों के निजी चिकित्सालयों तक मरीजों को पहुंचाने भर्ती कराने सहित इलाज भी बड़ी बीमारी के नाम पर कराया जाता है।
वर्षो से नहीं हुई कार्रवाई
साल भर पहले इन नीम हकीमों को लेकर प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच के लिए अभियान छेड़ा गया था। जिसके बाद कुछ नीम हकीमों पर कार्रवाई के दौरान अधिकांश झोला छाप डॉक्टर भूमिगत और गायब हो गए थे। इनकी डिस्पेंशरी भी पूरी तरह बंद हो गई थी। कुछ महीनों में कार्रवाई आगे नही बढऩे और लगातार कार्रवाई नही होने के बाद अब फिर से इन झोला छाप डाक्टरों द्वारा मरीजों का बेखौफ इलाज करना शुरू हो गया है।
चिकित्सा विभाग नही हैं गंभीर, इधर झोलाछाप डॉक्टर्स बन बैठे हैं मौत के सौदागर
गांव में सक्रिय झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही हैं। घूम-घूम कर आस-पास के गांव में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, सर्दी, खांसी, बुखार आदि से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी सभी बीमारियों का इलाज झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं और कहीं मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसे आनन फानन में किसी अन्य अस्पताल भेज दिया जाता है। इलाज के नाम पर ग्रामीणों से मोटी रकम वसूल की जाती है वही अपने पास कार्टून में दवाओं को साथ रखते हैं और पैसे लेकर दवाई भी घर में ही उपलब्ध कराते है। ये झोलाछाप डॉक्टर गांव में गारंटी के साथ डॉक्टारों का काम करते हैं। वहीं स्वास्थ्य महकमा इन झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई करने के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा है।
आखिर चिकित्सा विभाग अंकुश लगाने में क्यों हैं नाकाम?
तो क्या स्वास्थ विभाग का अमला कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं कर सकता जो नियमित मैदान में जाकर इन झोलाछाप डॉक्टर और क्लिनिक की जांच पड़ताल करें? जिला प्रशासन इस काम में लिप्त नकली डॉक्टर्स पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं करता जो ऐसी नजीर बने कि कोई भी स्वास्थ्य जैसे गंभीर विषय के साथ खिलवाड़ न कर सके? तंग व सघन आबादी इलाकों में नियमित निगरानी क्यों नहीं की जाती? उन हालातों को दुरुस्त क्यों नहीं किया जाता जिसके कारण गरीब आदमी को इन झोलाछाप की शरण में जाना पड़ता है। उस चेन को क्यों नहीं तोड़ा जा रहा जो झोलाछापों के जरिये नर्सिंग होम और गली मोहल्लों में बन गए अस्पतालों तक आती है? इसकी जांच क्यों नहीं हो रही कि ये झोलाछाप कहीं इन आधुनिक अस्पताल और जमीर बेच चुके कुछ चिकित्सकों के एजेंट के रूप में बस्तियों में डेरा डालकर तो नहीं बैठे हैं ?
क्या कहते चिकित्सा अधिकारी सूरजपुर
इस विषय पर सूरजपुर सीएमएचओं डॉ आर एस सिंह ने कहा कि बहुत जल्द नर्सिंग होम एक्ट के तहत टीम का गठन कर फर्जी झोला छाप डॉक्टरों पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी की।