राजधानी से जनता तक |कोरबा| केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हर गरीब को पक्का घर देने का वादा किया गया था, लेकिन प्रधानमंत्री के 10 वर्ष कार्यकाल के बाद भी प्रधानमंत्री आवास आज भी अधूरे हैं, विभाग के लापरवाही के चलते, जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में आवास अधूरे पड़े हुए हैं, आज भी ग्रामीण कच्चे मकान में रहने को मजबूर है,
छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलने के बाद प्रधानमंत्री आवास में अधिकारियों का दबाव देखने को मिल रहा, जिला प्रशासन को जल्द से जल्द अधूरे प्रधानमंत्री आवास को पूर्ण करके देना जो है, अधूरे प्रधानमंत्री आवास की जिम्मेदारी अब नोडल अधिकारी, पंचायत सचिव एवं अन्य अधिकारियों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, चाहे आवास छोटा ही क्यों ना हो।
ऐसे ही एक मामला कोरबा जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत लेमरू के ग्राम कांटाद्वारी में बन रहे प्रधानमंत्री आवास देखने को मिला जहां पर छोटे-छोटे आवास बनाया जा रहा, जबकि प्रधानमंत्री आवास 12×15 का बनाना होता है, लेकिन 10×12 का बनाया जा रहा, विभागीय सूत्र का कहना है, कि 10×12 यानी छोटा आवास बनाने का अनुमति जिला पंचायत अधिकारी के द्वारा दी गई है, कारण यह है कि आवास हितग्राहियों ने प्रथम किस्त की राशि किसी अन्य जगह में खर्च कर देने की वजह से बचा हुआ राशि से आवास बनाए जा रहा,
वेतन को लेकर पंचायत सचिव संघ आज जिला सीईओ को देंगे ज्ञापन-
जिले में प्रधानमंत्री आवास अधूरे होने से कई पंचायत सचिव का दो माह का वेतन रोक दिया गया है, जबकि पंचायत सचिव का कहना है कि वेतन रोक देने वह समाधान नहीं है जबकि प्रधानमंत्री आवास का राशि हितग्राहियों के खाते में जाते हैं, वेतन रुक जाने से परिवारों गुजर होना मुश्किल हो रहा, जिसे देखते हुए पंचायत सचिव संघ आज जिला सीईओ को देंगे ज्ञापन..
Author: Sangam Dubey
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