चंद्रपुर।।राज्य मे मौसम के करवट बदलते हि लोगों ने सुकून की सांस लिया है।जहाँ एक ओर तप्ती धुप और उमस भरी गर्मी मे दिन गुजारते लोग सिथिल पड़ गये थे,वही दूसरी ओर बदलती मौसम और बरसात के बाद हरे भरे पेड़ पौधों की शुद्ध हवा और बादल की गरज भरी कोलाहल से जन जीवन मे नई उमंग जागृत हुई है। जिसका श्रेय केवल और केवल पेड़-पौधों को हि जाता है।पता चलता है की मानव जीवन मे वृक्षों की क्या स्थान है
इसी तारतम्य मे चंद्रपुर नगर के ऊर्जावान युवा संचालक ( रिया इलेक्ट्रोनिक) अमन अग्रवाल ने मानव जीवन मे वृक्षों की महत्वता को परिभाषित करते आज चंद्रपुर थाना कंपाउंड मे फलदार व छायादार पेड़ लगाकर वृक्षरोपण अभियान को नई दिशा प्रदान किया है।
वृक्षरोपण हमारा दायित्व – अमन अग्रवाल
वृक्ष प्रकृति की अनमोल संपदा है तथा मनुष्य ने प्रकृति की गोद में ही अपने विकास की यात्रा का रथ चलाया था। मनुष्य एवं प्रकृति का अटूट सम्बन्ध है ईश्वरीय सृष्टि की अलौकिक रचना प्रकृति की गोद में ही मनुष्य ने आँखें खोली एवं प्रकृति ने ही मनुष्य का पालन-पोषण किया है।
मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन पेड़-पौधों के आश्रित रहा है चाहे वह वृक्षों की लकड़ी विभिन्न रूपों की बात हो या हमें फूल-फल, जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ आदि वृक्षों से हि प्राप्त होती हैं। शद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है साथ ही वृक्ष वर्षा में सहायक होते हैं एवं भूमि को उर्वरक बनाने के साथ साथ प्रदूषण को समाप्त कर हमें शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वृक्ष बाढ़-सूखा एवं मिट्टी के कटान आदि प्राकृतिक आपदाओं से भी हमारी रक्षा करते हैं। हमारी संस्कृति में वृक्षों को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है। होली, दीपावली, बसंत पंचमी, पोंगल, बैसाखी आदि उत्सव मनाकर हम प्रकृति का समय समय पर स्वागत करते हैं।
वृक्षारोपण क्यों-
यदि मनुष्य जाति को बचाना है तो वृक्षों को बचाना होगा अर्थात हमें वृक्षारोपण करना होगा। इसीलिए एक बच्चा एक पेड़ का नारा दिया गया है। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय वन नीति के अन्तर्गत 50 लाख हैक्टेअर क्षेत्र में वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है। भारत में वृक्षों के कटाव से 3 लाख हैक्टेअर वन्य क्षेत्र की कमी आई हैं वनों की 50 मीटर की एक कतार वाहनों के शोर को 30-50 डेसीबल तक कम करती है। इसी तरह चौड़ी पत्ती वाले पेड़ वातावरण में उड़ रही धूल को रोकते एवं वायु को शुद्ध करते हैं। किसानों द्वारा बोई गई फसलों के साथ क्रमबद्ध तरीके से उसी भूमि पर वृक्षों को लगाना कृषिवानिकी का रूप है। इसका उद्देश्य पशुओं के लिए हरा चारा तथा खाना बनाने के लिए ईंधन उपलब्ध कराना है। वन-विहीन क्षेत्रों को ढकने के लिए घने और तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों का चुनाव करना चाहिए। वृक्षों के अतिरिक्त झाड़ियों वाले पौधों एवं घास को लगाना चाहिए जिससे भू-क्षरण रुके। हरे चारे वाले वृक्षों एवं पौधों को लगाना चाहिए।
हमारा दायित्व-
तेजी से बढ़ती जनसंख्या एवं तेजी से बढ़ती औद्योगिक इकाइयाँ, मशीनीकरण एवं शहरीकरण के कारण जो वनों का तीव्र गति से ह्यस हुआ है उससे समस्त विश्व चिन्तित है। वृक्षारोपण का उद्देश्य केवल वृक्षों को लगाना ही नहीं वरन वृक्षारोपण करने के बाद उनकी उचित देखभाल भी आवश्यक है। निजी क्षेत्र में स्वयंसेवी युवकों का संगठन बनाकर वृक्षारोपण का कार्य करना चाहिए।