शासकीय नवीन महाविद्यालय चंद्रपुर मे हो रहे कॉमर्स विषय के अधिकतर छात्र-छत्रा पूरक व अनुत्तीर्ण ।
चंद्रपुर।।नवीन जिला सक्ति जिसे शैक्षणिक जिला से नवाज़ा गया है और आज भी यंहा शिक्षा को ही विशेष माना जाता है। चाहे वह प्राथमिक, माध्यमिक अथवा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की बात करे या महाविद्यालय स्तर की बात हो विशेष शिक्षकों की नियुक्तियां कर बच्चों को अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो इस पर ध्यान केंद्रित रहती है।
परन्तु वही दूसरी तरफ बात करें शासकीय नवीन महाविद्यालय चंद्रपुर की तो यंहा प्रोफेसर /लेक्चरार/ट्यूटर/शिक्षकों की कोई कमी नही है।पर्याप्त विषयों के लिए शिक्षकों की व्यवस्था है।परन्तु विगत दो वर्षों से जब से कॉमर्स विषय प्राध्यापिका कथाकथित मंजू छत्रे बच्चों को शिक्षा बोध करा रही हैं तबसे छात्र छात्राओं का शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है यहां बच्चे लगातार पूरक और अनुत्तीर्ण हो रहे हैं ।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ज्ञात हुआ है ये वहीं कॉमर्स प्राध्यापिका मंजू छत्रे हैँ जो छात्र छात्राओं को उचित शब्दों का बोध और अच्छी शिक्षा देने के बजाय अपना इगो सेटिस्फाई करने उनसे दुर्व्यवहार पूर्ण लहजे से बात किया करती हैं । और खुद को ज्यादा पढ़ी लिखी होने का गुरुर दिखाती हैं ।
विगत दिनों किसी छात्र से बातचीत के दौरान अपनी ड्यूटी और जिम्मेदारी की बड़ी बड़ी डिंगे आक रहे थे साथ हि अपने ही छात्र से तु – तड़ाक और झगड़ने की भावना रख अपनी स्टेटस दिखा रहे थे । जबकी वास्तविक स्थिति ये है लगातार विगत वर्षों से फसट्टी साबित हो रही है। इन प्राध्यापिका को डिंगे आकने के जगह बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बोध कराना चाहिए । ये मौतरमा २०२२ से नवीन महाविद्यालय चंद्रपुर मे सेवा दे रही हैँ तब से विषय सम्बन्धित छात्र छात्राओं की शिक्षा स्तर चरमराई हुई है जिसका ताजा उदाहरण ऑनलाइन माध्यम से विभाग की वेबसाइट पर २०२२ से २०२४ तक की Progress Report देखी जा सकती है।
शिक्षा के क्षेत्र मे अनुभव रखने वालो का कहना है ऐसे प्राध्यापिका का रवैया और इनका नवीन महाविद्यालय मे रहना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना होगा। इसके सम्बन्ध मे जिला शिक्षाधिकारी,एवं शिक्षा मंत्री उच्च शिक्षा विभाग को Letter के माध्यम से जानकारी अवगत करानी चाहिए।
अब ये देखना लाजमी होगा की क्या महाविद्यालय प्रबंधन इन प्राध्यापिका को अपना रवैया सुधारने हिदायत देती है या प्राचार्य का अबोध होना प्रदर्शित होगा। जानकारी के पश्चात भी महाविद्यालय प्रबंधन इस तथ्य को अनदेखा करती है तो निश्चित ही इसकी शिकायत सम्बन्धित आधार सामग्री के साथ उच्च शिक्षा विभाग से की जावेगी।