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अमृत भारत योजना:- अकलतरा रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण में भ्रष्टाचार के संकेत, गुणवत्ता की भी अनदेखी

अकलतरा- बेजोड़ मजबूती, सख्त निगरानी, सुरक्षा के लिए अलग ही पहचान और खास संरक्षा और विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने वाला रेलवे विभाग इन दिनों भ्रष्टाचार में शुमार हो रहा है। रेल्वे में रिश्वतखोरी से लेकर घटिया निर्माण अब आम बात हो चली है। हद तो तब हो जा रही है, जब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘अमृत भारत योजना’ को ही पलीता लगाया जा रहा है और दपुमध्य रेलवे के बिलासपुर ज़ोन के अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। यह है अकलतरा शहर में चल रही घटिया निर्माण की पोल खोलने वाली रिपोर्ट…।

रेलवे द्वारा स्टेशनों को विश्व स्तरीय बनाने का दावा कर रही है, यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए दम भर रही है, विकास की ढींगें हांकी जा रही है, लेकिन इसकी हकीकत क्या है, इसकी बानगी बिलासपुर ज़ोन के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक अकलतरा स्टेशन में चल रहे विकास कार्य बयां कर रहे हैं। नगर के रेल्वे स्टेशन ठेकेदार द्वारा जमकर गुणवत्ता से खिलवाड़ किया जा रहा है। ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे मनमाने व घटिया निर्माण को देखने वाला कोई अधिकारी नहीं है।

विकास के नाम पर अकलतरा स्टेशन में बाहरी सौंदर्यीकरण हो रहा है। प्लेटफॉर्म क्रमांक दो व तीन पर शेड बढ़ाने का ही काम हो पाया है एवं प्लेटफ़ॉर्म इसी प्रकार बाहर में सिर्फ बाहरी सौंदर्यीकरण आधा-अधूरा हुआ है। इस सौंदर्यीकरण में सिर्फ रुपयों की होली खेली जा रही है। उल्लेखनीय है कि देश के 506 रेलवे स्टेशन कायाकल्प योजना के तहत सौंदर्यीकरण व यात्री सुविधाओं का विस्तार में शामिल हैं, जिसमें अकलतरा भी रेलवे स्टेशन शामिल हैं। कायाकल्प योजना के तहत चल रहे काम की न सिर्फ सुस्त चाल है बल्कि घटिया निर्माण हो रहा है। वहीं दूसरी ओर यात्रियों को शुद्ध पानी, पर्याप्त फुट ओवर ब्रिज, रैम्प, सुरक्षा, यात्री प्रतीक्षालय, पर्याप्त आरक्षण केंद्र, एटीवीएम आदि की कमी बनी हुई है, जिस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।

रात के अंधेरे में हो रही कांक्रीट

रेल्वे जैसे ईमानदार विभाग के अब भ्रष्टाचार का आलम यह है कि शनिवार की रात नगर के रेलवे स्टेशन में ठेकेदार के द्वारा रेल्वे विभाग के बिना किसी अधिकारी के जानकारी के बग़ैर ठेकेदार के द्वारा ढलाई का काम किया जा रहा है। जिसमे ठेकेदार के द्वारा ढलाई में गुणवत्ताविहीन सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है एवं ढलाई करते समय ठेकेदार का साईट में कोई भी इंजीनियर था और ना कोई सुपरवाइज़र मौक़ा पर था सिर्फ़ दो मिस्त्री के द्वारा रात के दस बजे ढलाई का कार्य किया जा रहा था। ढलाई के काम में होने वाले वाइब्रेटर का भी उपयोग नहीं किया जा रहा था। हमारे द्वारा मौके पर राज मिस्त्री से पूछने पर आनन- फ़ानन में वाइब्रेटर लाया गया और रात में ही ज़बरदस्ती ढलाई किया गया। बताया जा रहा है कि ठेकेदार के द्वारा रेलवे के चोरी के बिजली से सारे निर्माण का कार्य किया जा रहा है। जिसको लेकर रेलवे के अधिकारी और आरपीएफ़ भी मौन है।

ठेकेदार ने कहा मूर्ख है रेल्वे के इंजीनियर

ठेकेदार से सवाल रात में कार्य करने को लेकर सवाल किया गया तो ठेकेदार ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने कार्य में 200 दिन के कार्य को 100 दिन में समाप्त करने पर ज़ोर दिया जा रहा है। जिसको लेकर हमारे द्वारा रात में भी काम किया जा रहा है। हमारे द्वारा सवाल करने पूछा गया कि आपने रात में काम करने को लेकर रेलवे के किसी अधिकारी को सूचना दिया था क्या तो ठेकेदार ने कहा कि हमने संबंधित अधिकारी को मोबाईल के माध्यम से सूचक दे दी थी हर चीज़ को लिखित में देना आवश्यक नहीं है। हमारे द्वारा पूछा गया कि आपने कांक्रीट में बग़ैर वाइब्रेटर के ढलाई किया जा रहा है तो ठेकेदार ने कहा कि ये उच्च गुणवत्ता का मटेरियल है इसमें वाइब्रेटर की आवश्यकता नहीं पड़ती मूर्ख है रेल्वे इंजीनियर जिनको इस बात की जानकारी नहीं है। अपने कर्मचारी को ग़ुस्से में चिल्लाते हुए कहा कि आज के बाद रात में चाहे कोई आ जाये काम बंद नहीं होना चाहिए और हो रहे निर्माण में आपके द्वारा किसी भी जगह में क्यूरिंग नहीं किया जा रहा है तो ठेकेदार के इंजीनियर अभय श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे द्वारा कांक्रीट में एक स्पेशल कंपाउंड मिलाया जाता है जिसमे क्यूरिंग की आवश्यकता नहीं होती। यह सब सुन कर हम बड़े अचंभव में पड़ गये कि रेल्वे जैसे विभाग में ऐसे ठेकेदारों को बिना अधिकारियों के संरक्षण के बग़ैर काम नहीं किया जा रहा है। जब हमारे द्वारा रात में ही रेलवे के अधिकारियों को सूचना दिया गया तब रेलवे अधिकारियों ने ठेकेदार के द्वारा डाले गये कांक्रीट को उखड़वा कर फेकने के निर्देश दिया गया।

मिशन अमृत भारत योजना के तहत 35 करोड़ के काम में हर जगह लीपा पोती

नगर के रेलवे स्टेशन के बन रहे फुट ओवर ब्रिज में रेल्वे बिना किसी अधिकारी के बिना लाईन लेवल में काम किया जा रहा है। फुट ब्रिज के लग रहे ग्रेनाइट के वेस्टेज टुकड़े को भी सीढ़ियों पर लगाया जा रहा है। वहीं टिकट काउंटर के ऊपर बन रहे डोम के शिट को भी बिना किसी लाइन लेवल के लगाया गया है दूर से देखने पर पूरी शिट आड़ी तिरछी दिख रही है पर जानता को दिखने वाली ये ग़लतियाँ रेलवे के अधिकारियों को नहीं दिख रहा शायद पैसे के लालच में रेलवे के अधिकारियों के आँख में पट्टी बंधीं हो।

तीन साल पहले बने करोड़ों रुपए से बने फुट ओवरब्रिज में पैसे का दुरुपयोग

अकलतरा रेलवे स्टेशन में लगभग तीन वर्ष पहले ही रेलवे द्वारा फुट ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया था पर भ्रष्टाचार का यह आलम है कि सीढ़ियों में लगे लोहे की मज़बूत रेलिंग को काट कर अब स्टील की रेलिंग लगाया जा रहा है। स्टील की आपेक्षा लोहा सबसे मज़बूत माना गया है। खर्चे देखा जाये तो लोहा 80₹ किलो और स्टील 600₹ किलो है। रेलवे के अधिकारियों द्वारा केंद्र सरकार के पैसे का दुरुपयोग का इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हाल में लगे रेलिंग को काट कर अब स्टील की रेलिंग लगा कर ऐसे ही केंद्र सरकार के दिये गये पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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