दवनकरा खास में आंगनबाड़ी निर्माण कार्य लगभग चार पांच सालों से अधूरा पड़ा
क्या शासन प्रशासन की ओर ध्यान आकर्षण करने के बाद पूर्ण हो पाएगा नवीन आंगनबाड़ी का अधूरा कार्य..?
क्या मासूम बच्चों का नवीन आंगनवाड़ी में बैठने का सपना होगा साकार या फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा…?
जाहिद अंसारी
राजधानी से जनता तक. सूरजपुर/प्रतापपुर:– विधानसभा के विधायक बदल गए, प्रदेश सरकार बदल गई अगर नहीं बदली तो निर्माण हो रहे आंगनवाड़ी की वास्तविक स्थिति जो लगभग चार से पांच वर्षों में भी निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है अब इसके जिम्मेदार कौन है पूर्व सरकार के स्थानीय मनोरतिनिधि, वर्तमान सरकार के जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी या फिर निर्माण एजेंसी ? जिला मुख्यालय के जनपद पंचायत प्रतापपुर के ग्राम पंचायत दवनकरा ख़ास में आंगनवाड़ी भवन निर्माण कार्य लगभग चार पांच सालों से अधूरा पड़ा है जिसमें आज तक नहीं पड़ी शासन प्रशासन की नजर, जिसका खामियाजा सालों साल से छोटे बच्चे घरों में पढ़कर अपने मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो रहे और जिम्मेदार बने मूकदर्शक आख़िर कौन है इतने बड़े लापरवाहियों का जिम्मेदार जो मासूम छोटे बच्चों का आशियाना के बारे तनिक भी नहीं सोचा और चढ़ा दिया भ्रष्टाचार की भेंट। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती सरकार में दवनकरा ख़ास मे नवीन आंगनबाड़ी भवन निर्माण हेतु लाखों लाख़ रुपयों की स्वीकृती बच्चों की सुविधाओं को देखते हुए किया गया था ताकि भवन गुणवत्तापूर्ण और मजबूत आंगनबाड़ी का निर्माण हो सके और गांव के स्थानीय छोटे बच्चों को ज्यादा दूर आंगनबाड़ी पढ़ने ना जाना पड़े और कुछ ही दिनों में नवीन आंगनबाड़ी का निर्माण कार्य प्रारंभ भी कर दिया गया मगर पूर्ण रूप से बनाया ना जा सका और आंगनबाड़ी भवन को अधूरा बनाकर छोड़ दिया गया इस बीच में किसी का ध्यानाआकर्षण नहीं हुआ की भवन का निर्माण कार्य पूरा हो और बच्चे अपने नवीन भवन में पढ़ सकें एवं अपने मूलभूत सुविधाओं का लाभ उठा सकें लेकिन गांव के जिम्मेदार संबन्धित जनप्रतिनिधियों व पंचायत सचिवो ने मिलकर आंगनवाड़ी भवन का निर्माण कार्य से किस तरह खिलवाड़ किए है वो देखने लाइक है जिसका जीता जागता सबूत खुद आंगनवाड़ी भवन का अधूरा निर्माण कार्य है जो चिक चिक अपने दुर्दशा को बयां कर रहा। क्या कहते स्थानीय ग्रामीण इस विषय में स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हम लोगों का आंगनवाड़ी जो की दवनकरा खास में अच्छा जगह में बन रहा था और गांव के बीचों बिच बन रहा था और हमारे छोटे-छोटे बच्चे नियमित रूप से समय पर आंगनबाड़ी जाकर बैठते कुछ सीखते ज्ञान लेते मगर हमारा गांव में आंगनबाड़ी है जो अधूरा बनाकर भगवान भरोसे छोड़ दिया शासन प्रशासन की नजर इस ओर नहीं जा रहा कि बच्चों की भविष्य को गढ़ने वाली जो कि प्रारंभिक और प्राथमिक रूप से आंगनवाड़ी होती है और जिसको किस तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है समझ से परे है, गांव में चर्चाओं का विषय बन चुका है अधूरा भवन ग्रामीणों का कहना कि आंगनबाड़ियों में हम बच्चों को भेजते है ताकि बच्चे वहां जाकर प्राथमिक स्तर से बैठना उठना अक्षरो को पहचानना व बातचित के माध्यम से डिसिप्लिन में रहना और कुछ नई-नई रूपों और तकनीकों से शिक्षाएं ग्रहण करवाया जाता है, लोगों ने कहा भवन निर्माण की ओर शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षण करते हुए सघनता से निष्पक्ष जांच करते हुए आंगनवाड़ी का कार्य पूर्ण किया जाए ताकि छोटे बच्चे अपने सुंदर आंगनवाड़ी में शिक्षाए ग्रहण कर सके और अपने भविष्य गढ़ सके।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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