एक 7 वर्षीय भाई ने हाथियों के सामने ही छुप कर बचाई जान, प्रत्यक्ष रूप से देखा भाई बहन को मारते।
मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक. सूरजपुर/प्रेमनगर:– घने जंगल में मवेशी चराकर जीवन पोर्जन करने गए ग्रामीणों के घर मातम पसर गया है। बीते रात में पण्डो ग्रामीण अपने फूस की झोपड़ी में सो रहे थे कि तभी आधी रात्रि में 11 हाथियों का दल अचानक ही झोपडी में आ गए और एक दंपति अपने दो बच्चे को लेकर भागने में सफल हो गया किंतु अपने एक बेटा और बेटी को बचा नहीं पाया, हाथियों ने कुचल कर भाई बहन की जान ले ली है। मौके पर वन अमला की टीम ने दुःख जाहिर करते हुए परिवार को 50 हजार रुपए का सहायता प्रदान किया है।
मवेशी चराने का काम करता था परिवार
जानकारी के अनुसार रामानुजनगर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम महेशपुर टनटलिया पहाड़ जिसे मुलकी पहाड़ भी कहा जाता है वहां प्रेमनगर बरईडांड निवासी पंडो परिवार के दो दंपति पिता पुत्र अपने बहु नाती के साथ झोपड़ी बनाकर निवास करते हैं और मवेशी चराने का काम किया करते हैं।
बच्चों के साथ रात्रि में सोया हुआ था परिवार, हाथियों ने किया हमला
हमेशा की तरह भिखू राम अपने बच्चे पत्नी के साथ में सोया हुआ था कि तभी बीते रात्रि को करीब 1 बजे 11 हाथियों का दल झोपड़ी में अचानक ही आ धमके भिखू राम अपने पत्नी और 5 बच्चे के साथ में सोया हुआ था तभी हाथी के धमक से घबरा कर भिखू राम अपने पत्नी के साथ दो बच्चे को उठाकर भाग गया और झोपड़ी 3 बच्चे बचे हुए थे जिन्हें भी निकालने की कोशिश करने लगा था कि तभी एक हाथी उसके पीछे दौड़ाने लगा, भिखू राम पण्डो अपनी जान बचाते हुए दूसरे झोपड़ी में पिता के पास जाकर भागने को कहने लगा सभी दूर गड्ढे में भाग कर जान बचा रहे थे तो वहीं दूसरी ओर झोपड़ी में मौजूद भिखु राम पण्डो के तीन बच्चे झोपड़ी में फंसे हुए थे एक बच्चा देव सिंह उम्र 8 वर्ष, हाथियों की आहट सुन कर झोपड़ी से बाहर निकल कर एक किनारे में छुप गया वहीं झोपड़ी में सोए 11 वर्षीय बेटा टिशु व 5 वर्षीय काजल को हाथियों के दल ने झोपड़ी से बाहर निकाल कर कुचलकर मार डाला। इस घटना क्रम को 8 वर्षीय देव सिंह देख रहा था।
वन अमल पहुंचा घटना स्थल, प्रदान किया सहायता राशि
घटना की सूचना पर वन अमला घटना स्थल पहुंचकर वस्तु स्थिति की जानकारी ली है और ग्रामीणों को हाथियों से बचने की सलाह दी है। बताया जाता है कि पिछले 3 नवंबर से हाथियों का यह दल रामानुजनगर वन परिक्षेत्र के इन जंगलों में विचरण कर रहा है। वन विभाग लगातार सर्चिग भी करा रहा है। लोगों को माइक से सावधान रहने की सलाह दी जा रही है। मुलकी पहाड़ की घटना से आसपास के क्षेत्र में जहां शोक का माहौल है। लोग हाथियों के आतंक से भयभीत हैं। इस पहाड़ पर चार- पांच लोग झोपड़ी बनाकर चरवाहे का काम करते हैं और रात को वही रुक जाते हैं। इन सभी लोगों को समझाइश देकर वापस घर भेज दिया गया है। बताते हैं कि इस पहाड़ पर जाने के लिए डेढ़ किलोमीटर तक कोई रास्ता नहीं है। पैदल ही जाया जा सकता है। वन विभाग के रेंजर रामचंद्र प्रजापति ने मृतक के परिजनों को 25-25 हजार रुपए नगद तात्कालिक सहायता राशि दी है।