सर्वे देवा: स्थिता देहे सर्वदेवमयी ही गौ माता ।
न्यूज़ जांजगीर-चांपा । सनातन संस्कृति की संवाहिका ,सभी देवी-देवताओं को अपने शरीर में धारण करने वाली पूज्य गौमाता के पावन आराधना पर्व स्टेशन रोड स्थित गुप्ता निवास में खासकर ‘ गोपाष्टमी पर गौ माता की सेवा-सुश्रुषा के साथ पूजा-आराधना किया गया । केसरवानी महिला समिति चांपा की ऊर्जावान महिला श्रीमति शांता-महेंद्र गुप्ता ने दैनिक समाचार-पत्रों से सम्बद्ध शशिभूषण सोनी से चर्चा करते हुए कही कि कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में देश-भर में श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता हैं । इस दिन भगवान श्रीकृष्ण चंद्र जी ने गौ चारण लीला की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि गोपाष्टमी को ब्रज संस्कृति का एक प्रमुख उत्सव माना जाता हैं ।
भगवान कृष्ण का एक नाम गोविन्द भी गायों की रक्षा करने के कारण पडा़ था, क्योंकि भगवान कृष्ण ने गायों तथा ग्वालों की रक्षा के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर रखा था । आठवें दिन इन्द्र अपना अहं त्यागकर भगवान कृष्ण की शरण में आया था. उसके बाद कामधेनु ने भगवान कृष्ण का अभिषेक किया और उसी दिन से इन्हें गोविन्द के नाम से पुकारा जाने लगा। इसी दिन से अष्टमी के दिन गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा। उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी के दिन प्रातःकाल उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर हमारी जुड़वां बच्चों दिव्या और नव्या केसरवानी ने घर के द्वार पर आई हुई गौ माता का सबसे पहले स्नान-ध्यान करवाया । प्रातः काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौ माता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाया । लोक आस्था हैं कि इस दिन बछडे़ सहित गाय की पूजा-अर्चना करने से सुख और समृद्धि फलती-फूलती हैं। हमने और हमारी बहुओं ने प्रातः काल धूप-दीप अक्षत, रोली, गुड़, आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया और आरती उतारी गई। गाय की परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ हम लोग चले। गाय को गोमाता भी कहा जाता हैं । हम सब केवल देवउठनी एकादशी तथा गोपाष्टमी के दिन ही नहीं बल्कि हर दिन गौमाता के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प ले मानवता के उद्धार के लिए गोवंश की सुरक्षा का संकल्प ले ।

Author: Rajdhani Se Janta Tak
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