Search
Close this search box.

पीएम मोदी के भारत की संप्रभु शक्ति : नए औपनिवेशिक स्वामियों के खिलाफ अडिग संघर्ष

नई दिल्ली । भारत अपनी विशाल राजनैतिक अस्मिता और सांस्कृतिक-सभ्यतागत गहराई के साथ, सदियों से बाहरी दबावों और आंतरिक प्रतिरोधों के चौराहे पर खड़ा रहा है । हाल के दिनों में भारत और पश्चिमी शक्तियों, विशेष रूप से अमेरिका और कनाडा के बीच जो कूटनीतिक तनाव उभरा है, वह मात्र साधारण घटनाएं नहीं हैं। ये घटनाएं पश्चिमी शक्तियों द्वारा भारत की स्वतंत्रता को कमजोर करने और उसके वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने को बाधित करने की एक सुनियोजित सोची-समझी चाल का हिस्सा है। पिछले कुछ दशकों से, पश्चिमी समूह ने भारत को न केवल दक्षिण एशिया में एक महत्वपर्ण खिलाड़ी के रूप में देखा है, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में एक संभावित प्रतिद्वंद्वी के रूप में भी देखा है। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन ने भारत को राजनीतिक रूप से विभाजित और आर्थिक रूप से निर्भर रखने के लिए योजनाएं बनाई थीं। आज, आधुनिक औपनिवेशिक शक्तिया अमेरिका के नेतत्व में और भी परिष्कृत तरीकों का उपयोग कर रही हैं, जैसे कि कूटनीतिक दबाव, आर्थिक प्रतिबंध, और गुप्त अभियान। सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमद:। तैत्तिरीय उपनिषद, 11.1 का उपर्युक्त श्लोक सत्य और धर्म के प्रति अडिग रहने का महत्व दर्शाता है , जो कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। सत्य और धर्म की राह पर चलना भारत को पश्चिमी दबावों से मक्त रखने का मार्ग है। हाल में भारत और कनाडा के बीच अलगाववादी नेता की हत्या के आरोपों पर जो तनाव उत्पन्न हुआ है, वह मात्र एक कूटनीतिक झगड़ा नहीं है, बल्कि यह अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा भारत को राजनीतिक रूप से घेरने की एक बहुत बड़ी चाल है। कनाडा, पश्चिमी प्रभाव में आकर, भारत के खिलाफ बढ़ाचढ़ा कर आरोप लगा रहा है ताकि राष्ट्र की कूटनीतिक अखंडता पर संदेह उत्पन्न हो। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि भारत के भीतर घरेलू दलाल जैसे प्रताप भानु मेहता और सिद्धार्थ वरदराजन इस पश्चिमी एजेंडे का समर्थन कर रहे हैं। ये बौद्धिक वर्ग पश्चिमी हितों के पक्षधर होते हुए, एक ऐसा विरोधी नैरेटिव बना रहे हैं जो भारत की सरकार को कमजोर करता है और उसे विश्व मंच पर आक्रामक दिखाने का प्रयास करता है ।
घरेलू आलोचकों की भूमिका और सरकार-विरोधी नैरेटिव- ये विदेशी आकाओं के दलाल जो स्वयं को स्वतंत्र और न्यायपूर्ण सोचने वाले बताते हैं, वास्तव में एक बड़े विरोधी मानसिकता का हिस्सा हैं, जिसका लक्ष्य भारतीय सरकार को कमजोर करना है । इनकी रणनीति छोटी-छोटी कूटनीतिक घटनाओं को राष्ट्रीय संकट की तरह दिखाना है जैसे कि, प्रताप भानु मेहता द्वारा भारतीय सरकार से अपने कथित गुप्त अभियानों पर साफ-साफ बोलने की मांग केवल पारदर्शिता के नाम पर नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करने का प्रयास है। सामान्य भारतीय नागरिक जानते हैं कि यदि कोई गुप्त अभियान हुआ भी है, तो वह राष्ट्रहित में था। रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई। रामचरितमानस, बालकाण्ड 30.4 का यह दोहा उस सिद्धांत की पष्टि करता है कि राष्ट्र को अपने कर्तव्य और प्रतिज्ञा पर अडिग रहना चाहिए। भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए भी यही दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। महुआ मोइत्रा और सागरिका घोष जैसे विपक्ष के सदस्य इस मद्दे को जरूरत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रहे हैं, मानो देश एक राष्ट्रीय आपदा से गुजर रहा हो। इनका लक्ष्य स्पष्ट है : एक झूठी कहानी तैयार करना, जो केंद्र सरकार को कमजोर करता है। परंतु इसके विपरीत, भारतीय जनता में देशभक्ति की भावना और मजबूत हो गई है। पश्चिमी शक्तियों द्वारा भारत पर दबाव डालने की रणनीति नई नहीं है। भारत के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका ने अक्सर भारत को अपने भू- राजनीतिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए मोहरा बनाने का प्रयास किया है। शीत यद्ध के दौरान, अमेरिका ने भारत को अपने पक्ष में करने का भरसक प्रयास किया, परंतु पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं ने इन कोशिशों का दृढ़ता से विरोध किया। उन्होंने रणनीतिक स्वतंत्रता के सिद्धांत का पालन करते हुए गुट-निरपेक्ष आंदोलन का नेतत्व किया। भारत ने 1971 में बांग्लादेश के निर्माण में जो भूमिका निभाई, वह अमेरिका समर्थित पाकिस्तान को एक भारी झटका था। अमेरिका की नाराजगी के बावजूद, भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई ने एक नए राष्ट्र को जन्म दिया और उसे क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया। आज अमेरिका जिस खेल को खेल रहा है, वह शीत यद्ध के समय की रणनीति का ही आधुनिक संस्करण है। मोदी सरकार द्वारा रूस-यक्रेन संघर्ष में पश्चिमी दबावों के सामने झुकने से इंकार करने के बाद भारत ने खुद को पश्चिमी प्रभाव से दुर कर लिया है। पश्चिम, विशेषकर अमेरिका एक स्थिर भारतीय सरकार को स्वीकार नहीं कर पा रहा है, जो एक बहुमत के साथ सत्ता में है और अपनी विदेशी नीति में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले रही है। भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए उसकी सरकार की मजबूती और स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है, जो बिना किसी विदेशी दबाव के कार्य करती है। एक मजबूत सरकार भारत की राजनैतिक स्वतंत्रता और बाहरी संप्रभुता की रक्षा के लिए अनिवार्य है। अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों को एक आत्मनिर्भर और निर्णायक भारत, जो उनके नियमों पर नहीं चलता, पच नहीं रहा है। चाहे अतीत के गुप्त अभियान हों या आज की कूटनीतिक झड़पें, पश्चिम का अंतिम लक्ष्य एक ही है – भारत की संप्रभुता को कमजोर करना और उसकी वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने को रोकना। यह भारत की दृढ़ता को व्यक्त करता है, जो अपने राष्ट्रहित की रक्षा में किसी भी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। भारत का उदय एक वैश्विक शक्ति के रूप में होना अवश्यम्भावी है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी सैन्य स्वतंत्रता को पुन: प्राप्त किया है और अब विदेशी शक्तियों द्वारा अपने निर्णयों पर नियंत्रण नहीं होने देगा। चाहे रूस-यूक्रेन संघर्ष हो या कनाडा के साथ तनाव, भारत अपने स्थिर संकल्प के साथ खड़ा है। लेकिन भारत का उत्थान अब रुकने वाला नहीं है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने रणनीतिक स्वतंत्रता को पुनर्स्थापित किया है और अब वह अपनी विदेश नीति में किसी भी विदेशी दबाव के सामने झुकने को तैयार नहीं है। चाहे वह रूस-युक्रेन संघर्ष हो या कनाडा के साथ तनाव, भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा में अडिग खड़ा है। साधारण भारतीय नागरिक को इन विदेशी खेलों की समझ है। उनके लिए, सरकार की दृढ़ता बाहरी दबावों के खिलाफ एक प्रतीक है जो उन्हें देशभक्ति की भावना से भर देती है। भारत अब ऐसा राष्ट्र नहीं है जिसको विदेशी शक्तियां आसानी से प्रभावित कर सकें। यह अपने संप्रभुता की रक्षा करते हुए वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से खड़ा है। वर्तमान में चल रहे कूटनीतिक तनाव और पश्चिमी शक्तियों द्वारा भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को कमजोर करने के प्रयास केवल शीत युद्ध के समय से चली आ रही रणनीतियों का हिस्सा हैं। लेकिन मोदी सरकार की दृढ़ता और संप्रभुता की रक्षा करने की क्षमता से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब पश्चिमी दबावों के आगे झुकने वाला नहीं है । भारत का उत्थान अब अपरिहार्य है और इसे कोई बाहरी शक्ति रोक नहीं सकती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में यह संदेश बार-बार गूंजता है कि भारत अब किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं है । पीएम मोदी ने कहा है, भारत की स्वतंत्रता अमूल्य है और इस संप्रभुता की रक्षा के लिए हम संकल्पित हैं। उनकी बातों में आत्मनिर्भरता और गरिमा की गहराई झलकती है; वह स्पष्ट करते हैं, भारत का उत्थान अब अपरिहार्य है और इसे कोई भी बाहरी शक्ति रोकने में असफल होगी। यह एक अडिग चेतावनी है कि भारत अपनी शक्ति और रणनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

राजधानी से जनता तक न्यूज वेबसाइट के आलावा दैनिक अखबार, यूटयूब चैनल के माध्यम से भी लोगो तक तमाम छोटी बड़ी खबरो निष्पक्ष रूप से सेवा पहुंचाती है

यह भी पढ़ें

What does "money" mean to you?
  • Add your answer
November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  

टॉप स्टोरीज

error: Content is protected !!