मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक. सूरजपुर/प्रतापपुर:– अंबिकापुर के समीप सरगावा चौक में पुलिस और यातायात विभाग के कुछ कर्मचारियों द्वारा मालवाहक पिकअप, खाली पिकअप, और अन्य वाहनों से अवैध वसूली की खबरें तेजी से सामने आ रही हैं। वाहन मालिकों और ड्राइवरों का आरोप है कि उन्हें रोजाना ₹500 का चालान भरने या फिर बिना रसीद ₹200-₹300 का भुगतान करने पर मजबूर किया जा रहा है। यह अवैध वसूली बिना किसी ठोस कारण के की जा रही है, जिससे वाहन चालकों और व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
अवैध वसूली और पुलिस की मिलीभगत
वाहन चालकों ने बताया कि पुलिस और यातायात विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा सुचारू रूप से चल रहा है। अंबिकापुर में घुसने के लिए वाहन चालकों को ₹300 से ₹500 तक “एंट्री शुल्क” देना पड़ता है। यह राशि रोजाना वसूली जाती है, जिससे ड्राइवरों को अतिरिक्त आर्थिक भार सहना पड़ता है। यदि कोई चालक चालान की रसीद मांगता है, तो उसे ₹500 का भुगतान करना पड़ता है। रसीद न लेने की स्थिति में उनसे ₹200-₹300 में मामला निपटाने की बात की जाती है।
मालवाहकों की परेशानियां
इस अवैध वसूली से सबसे अधिक नुकसान मालवाहक वाहन मालिकों और चालकों को हो रहा है। वसूली के कारण माल ढुलाई का खर्च बढ़ गया है, जिसका सीधा असर आम जनता पर पड़ रहा है। सामान की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं की जेब पर भार पड़ रहा है। ड्राइवरों ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस की बर्बरता का उन्हें सामना करना पड़ता है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे कई सवाल
सबसे बड़ी चिंता यह है कि संभाग के सबसे बड़े जिला मुख्यालय होने के बावजूद इस अवैध वसूली पर प्रशासन की नजर नहीं जा रही है। हजारों वाहनों से की जा रही यह अवैध वसूली शासन की छवि को धूमिल कर रही है। प्रशासन की निष्क्रियता के कारण यह मुद्दा धीरे-धीरे गंभीर रूप ले रहा है।
आंदोलन की बन रही संभावना
यदि इस समस्या का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो यह आम जनता और वाहन चालकों के लिए असहनीय हो जाएगा। इसके चलते विरोध और आंदोलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। स्थानीय व्यापारियों ने भी चेतावनी दी है कि यदि इस गोरखधंधे पर रोक नहीं लगी, तो सरकार को बड़ा जनाक्रोश झेलना पड़ सकता है।
समाधान की आवश्यकता
यह आवश्यक है कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग इस अवैध वसूली पर तुरंत रोक लगाएं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उच्च स्तर पर जांच होनी चाहिए और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। आम जनता को राहत देने के लिए इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार और प्रशासन को जनता के हित में कदम उठाते हुए इस समस्या का शीघ्र समाधान करना चाहिए, ताकि कानून व्यवस्था और शासन की छवि पर कोई दाग न लगे।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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