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ईश्वर ने कोई जाति, धर्म, समुदाय, भाषा आदि नहीं बनाया”- पूज्य कापालिक बाबा

राजधानी से जनता तक । अघोर । अघोर आश्रम पोड़ी दल्हा में 29 नवम्बर को परम पूज्य अघोरेश्वर अवधूत भगवान राम का 33वाँ महानिर्वाण दिवस आश्रम के प्रांगण में परम पूज्य कापालिक धर्म रक्षित राम जी के सान्निध्य में तथा बाबा के हजारों शिष्यों एवं भक्तों द्वारा श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर प्रात: लगभग 8 बजे परम पूज्य बाबा जी द्वारा अघोरेश्वर महाप्रभु के चित्र मे पुष्प अर्पित कर पूजन एवं आरती की गयी। आश्रम के भक्तों द्वारा सफलयोनि का पाठ हुआ। तदुपरांत श्रद्धालुगणो द्वारा भी पूजा-अर्चना की गई। इस बीच हवन का कार्यक्रम सम्पन्न किया। प्रसाद वितरण के बाद भत्तों ने पूज्य बाबा का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। परम पूज्य अवधूत भगवान राम के महानिर्वाण दिवस पर अघोर आश्रम में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया था जहां बिलासपुर के प्रथम हॉस्पिटल एव जांजगीर के श्री मल्टी स्पेशालिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डाक्टर्स ने अपनी सेवाएं दी।

इस पुनीत कार्य में पोड़ी दल्हा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा भी अपना सहयोग प्रदान किया गया साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य के केन्द्र, आयुष विभाग अकलतरा ने अपने सारे साजों सामान अर्थात अपने मेडिकल टीम एवं उपकरण तथा दवाइयों सहित पूरे दिन बीमारों को देखती रही कुल 660 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया और उन्हें दवाइयां और जरूरत अनुसार इंजेक्शन दिए गए। लगभग तीन बजे परम पूज्य कापालिक धर्म रक्षित राम जी बाबा के चरण- कमलों के सान्निध्य में कंबल वितरण का कार्य शुरू किया गया जो 9 बजे तक चलता रहा। इस पुनीत अवसर पर इस वर्ष लगभग सात हजार जरूरतमंदों को कंबल वितरण किया गया और आसपास के गांवों से लोगों ने स्वास्थ्य शिविर में लाभ उठाया।

“ईश्वर ने कोई जाति, धर्म, समुदाय, भाषा आदि नहीं बनाया”- परम पूज्य कापालिक बाबा

परम् पूज्य बाबा ने गोष्ठी में कहा की
“ईश्वर ने कोई जाति, धर्म, समुदाय, भाषा आदि नहीं बनाया है। उसने हमें मनुष्य बना कर मनुष्यता के आचरण निमित्त इस लोक में भेजा है। यथार्थ में हमारी मूल जाति ‘मानव जाति’ है एवं हमारा धर्म “मानवता निर्वाह करना है”।”मनुष्य बनें; एवं मन, वचन तथा कर्म से मनुष्यता का निर्वाह करें।हिन्दू, मुस्लिम, सीख, ईसाई, बौद्ध, जैन, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि बनना आसान है;किन्तु सच्चे अर्थ में मनुष्य बनना कठिन है।इस युग तथा काल की पुकार है- कि हम अपनी मौलिक जाति ‘मनुष्य जाति’ को भली भांति पहचानें एवं सचेत हो कर अपने मौलिक धर्म ‘मानवता’ का निर्वाह करें।


आज की परिस्थतियों में मुदित मन से यह स्वीकार कर लेना बहुत बड़ी देन होगी कि- जाति,प्रांत,और विभिन्न भाषा भाषी क्षेत्रों के सभी लोग आदर, सम्मान और प्यार के पात्र हैं।नित्य के सभी भेद – भाव मिटाकर, वर्ण – व्यवस्था क प्रत्येक वर्ण, प्रत्येक जाति, उपजाति एवं टाट – भात के लोगों को एक ही हुक्का के अन्तर्गत संगठित कर भाई – चारा की व्यवस्था देने में धर्म भी सक्षम हो सकता है। चाहे भले ही वे भिन्न – भिन्न उपास्यों की उपासना करते हों।वे एक ही पुष्पमाला में गूंथे हुए भिन्न – भिन्न वर्णों की तरह हमारे राष्ट्र एवं समाज के अंग – स्वरूप ही हैं।” हे साधु! तुम जाति एवं वर्ण के भेद को बिल्कुल नहीं मानो यही तुम्हारा धर्म है।”

धर्म में प्रेम, करुणा, दया और सहनशीलता होती है –
अघोरेश्वर भगवान राम धर्म का सहारा लेकर घृणित,विपरीत आचरण व पाखंड के सख्त खिलाफ थे ,वे सदैव समझाते थे कि -“धर्म में प्रेम, करुणा, दया और सहनशीलता होती है।धर्म की भावना से अनुप्राणित मनुष्य एक-दूसरे के खून का प्यासा नहीं होता। जो ऐसा करता है। वह धर्म से बहुत दूर है।”मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है,जो मानवता और महापुरुषों के गुणों को दे सकता है।धर्म के रास्ते पर चल सकता है और वह धर्म ऐसा होगा , जिसमें कभी खून – खराबा,पारस्परिक लूटपाट और छीन छपट की कोई गुंजाइश ही नहीं होगी।मानवता ही राष्ट्र है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी सर्व धर्म समभाव की भावना के उद्देश्य से मंदिर-मस्जिद तथा गिरिजाघरों में झाड़ू वितरण गये जिसका संदेश है कि हमें इन धार्मिक स्थलों में जाने अपने मन की बुराइयों और कामनाओं को बुहारना है। इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों बलौदा, अकलतरा के मरीजों को फल तथा कुल 180 कंबल अस्पतालों एव क्षेत्र में फुटपाथ में निवासरत लोगों वितरण किया गया है।


इस अवसर में हजारों की संख्या में जरूत मंद लोग एवं श्रद्धालु आश्रम में उपस्थित हुवे और सेवा का लाभ लिया साथ ही साथ कीर्तन भजन का कार्यक्रम भी रखा गया जो लगातार 24 घंटे तक लगातार
।।अघोरानाम पारो मंत्रो नास्तित्त्व गुरौ परम।। के नाम से गूंजता रहा
सभी लोग परम पूज्य कापालिक बाबा जी के आशीर्वाद से धन्य हुवे और भक्ति एवं कल्याण का मार्ग भी प्राप्त किया।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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