नई दिल्ली। भारतीय नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) की एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) वृद्धि दर वित्त वर्ष 25 और वित्त वर्ष 26 में 15 से 17 प्रतिशत के बीच रह सकती है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई कि एयूएम वृद्धि दर वित्त वर्ष 14 से वित्त वर्ष 24 के बीच हुई औसत वृद्धि 14 प्रतिशत से ऊपर रहेगी।
एनबीएफसी के दो सबसे पारंपरिक सेगमेंट वाहन और होम लोन, जिनका कुल एयूएम में 45 प्रतिशत योगदान है, आगे भी एयूएम में वृद्धि में अहम भूमिका निभाएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया कि होम लोन के 13-14 प्रतिशत के स्थिर सीएजीआर से बढऩे की उम्मीद है क्योंकि नीतिगत पहल जैसे कि ब्याज सब्सिडी योजना की पुन: शुरूआत से पूरे सेक्टर को फायदा होगा।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी), जिनका फोकस 25 लाख रुपये के लोन पर होता है। उनकी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 22 से लेकर 23 प्रतिशत तक रहने की उम्मीद है। इस दौरान वाहन फाइनेंस सेगमेंट 15 से 16 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नए वाहनों की यूनिट्स में बिक्री वृद्धि कम रहेगी, लेकिन उच्च वैल्यू वाले वाहनों के खरीदे जाने के कारण एयूएम वृद्धि दर को सहारा मिलेगा। इससे एनबीएफसी के वाहन लोन सेगमेंट में वृद्धि होगी।
क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर, अजीत वेलोनी ने कहा कि अधिकांश बड़ी एनबीएफसी ने पिछली तीन तिमाहियों में पूंजी बाजार उपकरण, विदेशी मुद्रा में उधार और प्रतिभूतिकरण जैसे वैकल्पिक फंडिंग स्रोतों का उपयोग किया है।
फंडिंग एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्टर है जो एनबीएफसी के विकास को प्रभावित करता है। एनबीएफसी को बैंक लोन, जो पिछले 5-6 वर्षों में काफी हद तक सहायक रहा है, नवंबर 2023 से 13-13.5 लाख करोड़ रुपये के दायरे में बना हुआ है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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