सोनगरा क्षेत्र के ग्रामीण पिछले 10 दिनों से हाथियों के डर से गुजार रहे जीवन
दंतैल हाथी का उत्पात जारी ढहा दिए पण्डोपारा खड़गवां में चार घर
दंतैल हाथी ने चंद्रपुर कोथारी में हीरो बाइक को भी तोड़ दिया
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में चार दिनो मे 21 घरों को गिराया हाथी का कहर लगातार जारी
ग्रामीणों का आरोप वन विभाग हाथी मित्र दल के भरोसे अपनी नौकरी पका रहा है जो की पूरी तरह से प्रशिक्षित भी नहीं है
मोहन प्रताप सिंह
राजधानी से जनता तक । सूरजपुर/प्रतापपुर :– वन परिक्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत सोनगरा के आस पास सटे गांवों में हाथियों के आतंक से लोग परेशान है। यह गांव जंगल से सटे हुए हैं इस वजह से आए दिन हाथियों का दल यहां के रिहायसी इलाकों में भी आ धमकता है। ताजा मामला इस है कि इस क्षेत्र में कई दिनों से हाथियों का दल विचरण कर रहा है. इसके चलते आस पास के गांववाले डरे हुए हैं जहां पिछले 4 दिनों में ही हाथियों ने 21 परिवारों के घर को नुक्सान पहुंचाया है वही जंगल विभाग इस ओर कोई ठोस कदम उठाए ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है।
हाथियों के आतंक से परेशान ग्रामीण
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में बसे गांव और वर्तमान में सोनगरा के आस पास के लोगों का कहना है कि लम्बे समय से क्षेत्रवासी हाथियों की समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग के साथ साथ शासन और प्रशासन को भी हाथियों के आतंक को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
पिछले 4 दिनों में मचाया तांडव
जिले के वन परिक्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत सोनगरा व बोझा में नुकसान करने के बाद आज चौथे दिन बुधवार की रात में दन्तैल हाथी चंद्रपुर पहुंचकर मैनेजर साहू का हीरो होंडा मोटरसाइकिल पटक दिया उस समय मैनेजर साहू घर के बाहर मोटरसाइकिल खड़ा कर अपने आंगन में खाना खा रहा था इसके पश्चात दतल हाथी पण्डोपारा खड़गवां पहुंच कर चार घरों का दीवार को तोड़ा जिसमें शिवनारायण आत्मज लिखू राम के घर का दिवाल तोड़ते हुए राम प्रकाश आत्मज रामनारायण का घर तोड़ा इसके पश्चात सिरीमती स्वर्गीय रामकुमार का घर तोड़ा इसके पश्चात देवसाय आत्मज स्वर्गीय झम्मल का दिवाला तोड़ा कहा ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग द्वारा सही लोकेशन ना बताने के कारण यह दुर्घटना बढ़ती जा रही है।
वन विभाग निष्क्रिय
हाथी का आतंक बहुत ज्यादा ही देखने को मिल रहा है जिसको लेकर वन विभाग सहित शासन प्रशासन को इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाना चाहिए। ताकि हाथियों का उत्पात रोका जा सके और गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के जान माल की सुरक्षा की जा सके लेकिन इस कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा। वन विभाग तो किसी भी जान माल की हानि होने पर ग्रामीणों को सिर्फ तत्कालीन सहायत स्वरूप मूवावजा देने में ही रुचि ले रही और यदि इस क्षेत्र के ग्रामीण कभी कभार विरोध करते है, आरोप लगाते है तो वन विभाग अपनी कमियों को छिपाने के लिए ग्रामीणों और कुछ पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज करवाने में ही रुचि लेती दिखाई दे रही है और ग्रामीण जिए या हाथियों के हमले में मारे जाए कोई खास प्रभाव होता दिखाई नहीं दे रहा जिम्मेदारों में जो सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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