खतरे में वन्यजीव, लापरवाही बनी सबसे बड़ी चुनौती

तमोर पिंगला अभ्यारण्य: संरक्षण की अनदेखी से संकट में वन्यजीव और जंगल

अवैध कटाई और शिकार: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता प्राकृतिक धरोहर क्षेत्र

सूरजपुर/प्रतापपुर :– छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर में स्थित तमोर पिंगला अभ्यारण्य जो अपनी जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है वही आज वन प्राणी का अस्तित्व आज खतरे में है। अभ्यारण्य के भीतर वन्यजीवों के संरक्षण के दावों की असलियत कागजों तक सीमित रह गई है। जंगल में सभी जीव अपना निवास छोड़ चुके हैं। वन्यजीवों के शिकार, इमारती लकड़ियों की कटाई और संरक्षण के नाम पर चल रही हेराफेरी ने इस क्षेत्र को संकट में डाल दिया है।

अभ्यारण्य बना चारागाह

तमोर पिंगला अभ्यारण्य के रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी अंबिकापुर से की जाती है लेकिन वर्तमान में यह क्षेत्र अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए “चारागाह” बन गया है। संरक्षित वन क्षेत्र में इमारती लकड़ियों की धड़ल्ले से कटाई हो रही है, और इन्हें दूसरे राज्यों में अवैध रूप से सप्लाई किया जा रहा है। इसके कारण न केवल जंगलों का अस्तित्व खतरे में है, बल्कि वहां के वन्यजीव भी विलुप्ति की कगार पर पहुंच रहे हैं।

 

वन्यजीवों का शिकार और भ्रष्टाचार

अभ्यारण्य में संरक्षित प्रजातियों के शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से वन्यजीवों का अवैध शिकार किया जा रहा है। वन्यजीव संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार से करोड़ों रुपए आवंटित किए जाते हैं, लेकिन इनका अधिकांश हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है।

कागजों तक सीमित संरक्षण योजनाएं

तमोर पिंगला में चल रही संरक्षण योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं। क्षेत्र के स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण जंगली जानवरों की संख्या में भारी कमी आई है।

इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई

अभ्यारण्य के भीतर इमारती लकड़ियों की अवैध कटाई ने जंगलों को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। साल, सागौन, शीशम और अन्य मूल्यवान लकड़ियों की तस्करी के कारण जंगल का घनत्व घट रहा है। यह न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है, बल्कि वन्यजीवों के आवास भी नष्ट हो रहे हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?

पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर इस दिशा में शीघ्र कदम नहीं उठाए गए तो तमोर पिंगला अभ्यारण्य केवल नाममात्र का संरक्षित क्षेत्र बनकर रह जाएगा। सरकार को इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई करनी होगी और संरक्षित प्रजातियों के संरक्षण के लिए ठोस योजना बनानी होगी। क्योंकि जंगली जंगली जानवरों विहीन हो जा रहा है। जंगली जानवर इस क्षेत्र को अपने वातावरण अनुकूल न मानते हुए। नहीं के बराबर हो गए हैं। सिर्फ पैसों के बंदर बाट के लिए कागजों में इनका संरक्षण नजर आता है।

स्थानीय प्रशासन पर सवाल

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार इन मुद्दों को लेकर प्रशासन से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अधिकारी केवल औपचारिक जांच कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।

जरूरत है कड़े कदमों की

तमोर पिंगला अभ्यारण्य की सुरक्षा के लिए तत्काल प्रभाव से सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन, वन विभाग और सरकार को मिलकर इस अभ्यारण्य के संरक्षण की दिशा में काम करना होगा। अवैध कटाई और शिकार पर लगाम लगाना, वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आवास बनाना और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करना समय की मांग है। तमोर पिंगला अभ्यारण्य को बचाने के लिए जनता और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो यह प्राकृतिक धरोहर जल्द ही इतिहास बन जाएगी। इस विषय में तमर पिंगला वन अभ्यारण के वाइल्डलाइफ डीएफओ श्रीनिवास कनेटी ने कहा कि जंगली जानवरों के संरक्षण व जनजीवन पर गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच की जाएगी तथा कहां-कहां क्या-क्या कार्य हुए हैं जंगली जानवरों को इसका लाभ मिल पा रहा है या नहीं रेंजरों से जानकारी लेता हु और भ्रष्टाचार पर जांच कार्यवाही की जाएगी।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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