हाईकोर्ट ने दिया अहम् फैसला : मानसिक क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद उचित

बिलासपुर । विवाह विच्छेद के लिए हाईकोर्ट ने पति के पक्ष में आदेश दिया है। फैमिली कोर्ट ने भी इसके पहले पति का आवेदन स्वीकार कर तलाक का आदेश पारित किया था। इसके खिलाफ दायर पत्नी की अपील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने 5 लाख का स्थायी गुजारा भत्ता निर्धारित करते हुए कहा कि मानसिक क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद उचित है। नवागांव जिला मुंगेली निवासी सोनिया जांगड़े पिता हरिप्रसाद पात्रे का विवाह बीरभान सिंह जांगड़े निवासी ग्राम दर्री जिला बेमेतरा से गत 2 मई 2017 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। पति के अनुसार पत्नी ने 6 माह तक तक अपने ससुराल में ठीक से व्यवहार किया तथा उसके बाद वह अपने पिता के घर में रहने लगी।विवाह के कुछ समय पश्चात ही पत्नी का वादी के प्रति व्यवहार बदलता गया। पति के माता-पिता से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करना शुरू कर दिया तथा उस पर अपने माता-पिता से अलग होने का दबाव बनाया। इस बीच सोनिया ने पति के परिजनों को परेशान करने की गरज से घरेलू हिंसा का मामला भी मजिस्ट्रेट मुंगेली के यहां लगा दिया। इन सब तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने पति को तलाक की डिक्री का हकदार मानते हुए निर्णय दिया। इसके खिलाफ सोनिया ने हाईकोर्ट में अपील की।शुभारंभ सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि पति ने यह साबित किया है कि पत्नी मानसिक क्रूरता कर रही है। पारिवारिक न्यायालय ने पति के पक्ष में तलाक की डिक्री दी जो न्यायोचित है। चूंकि डिक्री पारित हो चुकी है, इसलिए पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए स्थायी गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। पति आदेश के अनुपालन में 5,000 रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण के रूप में दे रहा है,इसलिए कोर्ट एकमुश्त स्थायी गुजारा भत्ता 5,00,000 रुपए निर्धारित करता है।

Rajdhani Se Janta Tak
Author: Rajdhani Se Janta Tak

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