बेमेतरा । टोपू चंद गोयल । सम्पूर्ण भारत में महिलाओं में शिक्षा का अलख जगाने वाले महान समाज सुधारिका और समानता की प्रेरक मां सावित्री बाई फुले की जयंती 3 जनवरी को नवागढ़ विधानसभा, जिला बेमेतरा के ग्राम समेसर में एक भव्य आयोजन के रूप में मनाई गई। इस कार्यक्रम में ओ. पी. बाजपाई ने मुख्य अतिथि के रूप में मंच से संबोधित करते हुए मां सावित्री बाई फुले के जीवन और उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। बाजपाई ने कहा कि मां सावित्री बाई फुले ने भारतीय समाज में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी। वे न केवल अपने समय की सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ खड़ी हुईं, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। वे भारत की सबसे पहली महिला शिक्षिका थीं, जिन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी पहल ने समाज के लिए एक नई दिशा प्रदान की और शिक्षा के महत्व को सभी के बीच प्रकट किया।
समर्पण और साहस का प्रतीक मां सावित्री फुले…
मां सावित्री बाई फुले ने सबसे पहले लड़कियों के लिए एक विद्यालय की स्थापना की, जहां उन्हें शिक्षा दी जाती थी। उनके द्वारा स्थापित स्कूल न केवल महिलाओं के लिए शिक्षा का द्वार खोला, बल्कि समाज के निचले तबके और पिछड़ी जातियों के लिए भी शिक्षा प्राप्त करने की नई उम्मीद बनी। उनका यह कार्य शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति की तरह था, और यह उनके समर्पण और साहस का प्रतीक था। इसके अलावा, मां फुले ने सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया, जो उस समय की एक भयावह कुरीति थी। उनके संघर्ष के कारण लाखों महिलाओं की जान बचाई जा सकी और समाज में इस कुरीति के खिलाफ जागरूकता फैलाई गई। विधवाओं के लिए भी उन्होंने विशेष रूप से काम किया और उनके लिए आश्रम की स्थापना की। इसके साथ ही, उन्होंने लड़कियों के लिए छात्रावास का निर्माण भी कराया, ताकि वे शिक्षा प्राप्त करने में कोई विघ्न न आए।मां सावित्री बाई फुले का जीवन समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा है। उनके द्वारा किए गए कार्य न केवल उनके समय के लिए प्रासंगिक थे, बल्कि आज भी समाज में समानता और अधिकारों के लिए प्रेरणा देने वाले हैं।
महिलाओं को शिक्षा की महान यात्रा में मां फातिमा शेख का भी रहा विशेष योगदान
उनका संघर्ष और समर्पण भारतीय समाज में अमिट छाप छोड़ चुका है।उनकी इस महान यात्रा में उनकी सहयोगी मां फातिमा शेख का विशेष योगदान रहा। जब मनुवादी विचारधारा वाले लोगों ने स्कूल खोलने की अनुमति नहीं दी, तब मां फातिमा शेख ने अपनी निजी संपत्ति में जगह दी और वहां स्कूल की शुरुआत की। इस प्रकार, दोनों ने मिलकर समाज में शिक्षा के महत्व को स्थापित किया।कार्यक्रम में विशेष रूप से ओ. पी. कौशले जी, संतोष ध्रुव (जिला प्रभारी), विधानसभा अध्यक्ष इंद्र कुमार मिरचंडे, महासचिव दुर्गा कुर्रे, रामेश्वर कोसले, होम्स घृत लहरे, डॉक्टर बी. बंजारे, कुमार डेहरे, जयकरण, पुनदास, मार्कंडेय और समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे। यह आयोजन न केवल मां सावित्री बाई फुले के महान कार्यों को याद करने का एक अवसर था, बल्कि यह समाज में शिक्षा और समानता के प्रति उनके योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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