धार/पीथमपुर । भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को धार जिले के पीथमपुर में लाए जाने के खिलाफ शुक्रवार को स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर कचरे को वापस भोपाल ले जाने की मांग की। विरोध प्रदर्शन के दौरान दो युवकों ने आत्मदाह का भी प्रयास किया, जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज का भी इस्तेमाल किया। भोपाल गैस त्रासदी, जो दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक है, के चार दशक बाद भी इसके अवशेषों का निपटान एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। 1 जनवरी की रात को, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को सुरक्षित निपटान के लिए पीथमपुर लाया गया था, जिसके बाद से ही स्थानीय लोगों में नाराजगी है। 2-3 दिसंबर 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र से घातक गैस लीक होने के कारण हजारों लोगों की जान चली गई थी। विरोध प्रदर्शन के दौरान, राजकुमार रघुवंशी और राज पटेल नामक दो युवकों ने आत्मदाह का प्रयास किया, जिन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। प्रदर्शनकारियों ने कचरे को वापस भोपाल ले जाने की मांग करते हुए दुकानें भी बंद करा दीं। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, भोपाल से 40 साल पुराना जहरीला कचरा यहां पीथमपुर में निपटान के लिए लाया गया है। हम यहां कचरे को नहीं जलाने देंगे। हम पीथमपुर के लोगों के साथ हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। इस घटना से क्षेत्र में तनाव का माहौल है। इससे पहले गुरुवार को, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा था कि कचरे के निपटान से पर्यावरण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि 2015 में पीथमपुर में 10 मीट्रिक टन कचरे का ट्रायल जलाया गया था, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि कचरे के निपटान से पर्यावरण पर कोई असर नहीं पड़ता है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने बाकी कचरे को जलाने के निर्देश दिए थे। हालांकि, स्थानीय लोग मुख्यमंत्री के आश्वासन से संतुष्ट नहीं हैं और कचरे को पीथमपुर से वापस ले जाने की मांग पर अड़े हैं। उनका कहना है कि वे अपने क्षेत्र में किसी भी तरह के जहरीले कचरे का निपटान नहीं होने देंगे। सामाजिक कार्यकर्ता संदीप रघुवंशी ने कहा कि जब तक कचरे के कंटेनर वापस नहीं भेजे जाते, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। इस घटना ने एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और उनके द्वारा झेली जा रही समस्याओं को सुर्खियों में ला दिया है।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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