राजधानी से जनता तक । कवर्धा । जिला प्रमुख पवन तिवारी । कांग्रेस के जोन सेक्टर पदाधिकारी कार्यकर्ताओं द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद बोस जी के जयंती में तिलक वंदन कर याद करते हुए नमन किया। जोन सेक्टर प्रभारी नंदराम पाटिल,हरि पटेल द्वारा नेता जी के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कुट्टक गांव में हुआ।उनके पिता जानकीनाथ बोस वकील थे। उनकी माता का नाम प्रभावती था। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे।द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से’आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया था।नेताजी सुभाष चंद बोस द्वारा दिया गया ‘जय हिंद’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा है।सुभाष चंद बोस के मन में देशप्रेम,स्वाभिमान और साहस की भावना बचपन से ही बड़ी प्रबल थी।वे अंग्रेज शासन का विरोध करने के लिए अपने भारतीय सहपाठियों का भी मनोबल बढ़ाते थे। अपनी छोटी आयु में ही सुभाष ने यह जान लिया था कि जब तक सभी भारतवासी एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे, तब तक हमारे देश को उनकी गुलामी से मुक्ति नहीं मिल सकेगी। जहां सुभाष के मन में अंग्रेजों के प्रति तीव्र घृणा थी, वहीं अपने देशवासियों के प्रति उनके मन में बड़ा प्रेम था।’किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि है’इस महान मूलमंत्र को शैशव और नवयुवाओं की नसों में प्रवाहित करने,तरुणों की सोई आत्मा को जगाकर देशव्यापी आंदोलन देने और युवा वर्ग की शौर्य शक्ति उद्भासित कर राष्ट्र के युवकों के लिए आजादी को आत्मप्रतिष्ठा का प्रश्न बना देने वाले नेताजी सुभाष चंद बोस ने स्वाधीनता महासंग्राम के महायज्ञ में प्रमुख पुरोहित की भूमिका निभाई।
वहीं सेक्टर प्रभारी सत्येंद्र वर्मा एवं युवा कांग्रेस विधानसभा कवर्धा अध्यक्ष वाल्मिकी वर्मा ने कहा कि नेताजी ने आत्मविश्वास,भाव-प्रवणता,कल्पनाशीलता और नवजागरण के बल पर युवाओं में राष्ट्र के प्रति मुक्ति व इतिहास की रचना का मंगल शंखनाद किया।मनुष्य इस संसार में एक निश्चित,निहित उद्देश्य की प्राप्ति,किसी संदेश को प्रचारित करने के लिए जन्म लेता है।जिसकी जितनी शक्ति,आकांक्षा और क्षमता है वह उसी के अनुरूप अपना कर्मक्षेत्र निर्धारित करता है।नेताजी के लिए स्वाधीनता ‘जीवन-मरण’ का प्रश्न बन गया था। बस यही श्रद्धा, यही आत्मविश्वास जिसमें ध्वनित हो वही व्यक्ति वास्तविक सृजक है। नेताजी ने पूर्ण स्वाधीनता को राष्ट्र के युवाओं के सामने एक ‘मिशन’ के रूप में प्रस्तुत किया। नेताजी ने युवाओं से आह्वान किया कि जो इस मिशन में आस्था रखता है वह सच्चा भारतवासी है। बस, उनके इसी आह्वान पर ध्वजा उठाए आजादी के दीवानों की आजाद हिन्द फौज बन गई।उन्होंने अपने भाषण में कहा था विचार व्यक्ति को कार्य करने के लिए धरातल प्रदान करता है। उन्नतिशील,शक्तिशाली जाति और पीढ़ी की उत्पत्ति के लिए हमें बेहतर विचार वाले पथ का अवलंबन करना होगा, क्योंकि जब विचार महान,साहसपूर्ण और राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत होंगे तभी हमारा संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा।नेताजी के विचार विश्वव्यापी थे।वे समग्र मानव समाज को उदार बनाने के लिए प्रत्येक जाति को विकसित बनाना चाहते थे।उनका स्पष्ट मानना था कि जो जाति उन्नति करना नहीं चाहती,विश्व रंगमंच पर विशिष्टता पाना नहीं चाहती,उसे जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं।नेताजी की आशा के अनुरूप इस जरा जीर्ण होते देश का यौवन लौटाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आज दृढ़ संकल्प लेना होगा।
उक्त कार्यक्रम में प्रमुख रूप से भीषम पाण्डेय,पंचू कोसरिया,मनोज चंद्रवंशी,बृजेश तिवारी,हीरा राय,मुन्ना चंद्रवंशी,संजय धुर्वे,परमेश्वर घृतलहरे,विजय बाचकर,कुंजराम चंद्रवंशी,राजू मिराज,मोहन सोनवानी,संजय धुर्वे,लाला राम कौशिक,भोगेश्वर चंद्रवंशी,अजय वर्मा,पुरन नाथ योगी,अशोक नाथ,भागवत वर्मा,लोरिक यादव,परमेश्वर नाथ,योगेश चंद्रवशी,रामचरण साहू,पप्पू चंद्रवंशी,गिरधर लहरें,भोजकुमार यादव,जगमोहन भारती,चंद्रकांत गंधर्व,गवित श्रीवास,शिवकुमार पटेल,योगदत्त पात्रे,शेखर चंद्रवंशी,सुंदर,सनत धुर्वे,प्रमोद योगी,यशवंत मरकाम,मिलन चंद्रवंशी,पुनाराम साहू,इंद्रा बंजारे,कन्हैया लाल,रघुनाथ,शत्रुघन,मनहरण लांझी,नरेश टंडन,ज्वाला प्रसाद टंडन,भानु कोशले,गोरेश्वर साहू,कमलेश श्रीवास,चंद्रहास बंजारे सहित सैकड़ो की संख्या में जोन सेक्टर के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
Author: Rajdhani Se Janta Tak
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